चप्पल वाले सुपर कॉप्स की बुलेटप्रूफ जैकेट कहां? मंगेश यादव एनकाउंटर केस में ये हैं बड़े सवाल

संतोष शर्मा

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STF Officer DK Shahi in Slippers
STF Officer DK Shahi in Slippers
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Mangesh Yadav Encounter Case : उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुए लूट और उसके बाद आरोपी मंगेश यादव के एनकाउंटर के मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है. मंगेश यादव के एनकाउंटर ने प्रदेश की राजनीति को भी काफी गर्मा दिया है. इस एनकाउंटर को लेकर विपक्ष, सरकार पर हमलावर हैं. इस एनकाउंटर पर मंगेश यादव के परिवार से लेकर कई राजनीतिक पार्टियों ने कई ऐसे सवाल उठा रहे हैं, जिनके जवाब अभी मिलने बाकी हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ तथ्य ऐसे हैं, जिनको इस एनकाउंटर में नज़रंदाज नहीं किया जा सकता.

ना बुलेटप्रुफ जैकेट और ना ही पैर में जूते

मंगेश यादव एनकाउंटर पर सबसे पहले सवाल यूपी एसटीएफ की 11 सदस्य टीम पर जिसमें एक डिप्टी एसपी डीके शाही, दो इंस्पेक्टर राघवेंद्र सिंह और महावीर सिंह, दो सब इंस्पेक्टर अतुल चतुर्वेदी और प्रदीप सिंह, 3 हेड कांस्टेबल सुशील सिंह, रामनिवास शुक्ला और नीरज पांडे और 3 कांस्टेबल अमित त्रिपाठी, ब्रजेश बहादुर सिंह, अमर श्रीवास्तव मुख्य तौर पर शामिल थे. मंगेश यादव एनकाउंटर में डिप्टी एसपी डीके शाही की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में मंगेश यादव को बेहद खतरनाक अपराधी मानते हुए की STF टीम बहुत एहतियात बरती है. ट्रेनिंग के दौरान जो भी सिखाया गया उन सभी नियमों का पालन करती है. बुलेट प्रूफ जैकेट पहनती है, हथियार लेती है और तब बाइक से आ रहे एक लाख के नामी लुटेरे मंगेश यादव को एनकाउंटर में मार गिराती है.

एनकाउंटर के बाद घटनास्थल की सामने आई तस्वीरों में एसटीएफ की टीम को लीड करने वाले डिप्टी एसपी डीके शाही और उनके तीन खास साथी चप्पल में नजर आते हैं. सबसे पहले डीके शाही चप्पल पहने खड़े हैं. उनके बगल में हेड कांस्टेबल पिंक टी शर्ट में हेड कांस्टेबल रामनिवास शुक्ला खड़ा है. इसके बगल में जौनपुर SOG से एसटीएफ में आए हेड कांस्टेबल सुशील सिंह और नीरज पांडे खड़े हैं. 

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एसटीएफ के एफआईआर में एक और लाइन बहुत महत्वपूर्ण है, जिसके मुताबिक मंगेश जैसे लुटेरे को पकड़ने के लिए एसटीएफ की टीम बुलेट प्रूफ जैकेट पहनती है. एफआईआर में एसटीएफ टीम बुलेट प्रूफ जैकेट तो पहनती है लेकिन मैदान में बुलेट प्रूफ जैकेट का नामो निशान गायब हो जाता है. एनकाउंटर के बाद सामने आई तस्वीरों में STF के 11 सदस्यी टीम में किसी के ना हाथ में न शरीर पर बुलेट प्रूफ जैकेट नजर आती है. 

मंगेश पर दर्ज मुकदमों से भी उठे सवाल

मंगेश यादव पर दर्ज  मुकदमों की बात करे तो उसपर सुल्तानपुर लूट कांड समेत 8 मुकदमे दर्ज थे. सभी मुकदमे वाहन चोरी और लूट के थे और इसमें एक मुकदमा गैंगस्टर एक्ट का दर्ज था. मंगेश यादव को पुलिस ने दो बार गिरफ्तार किया.. एक बार सुल्तानपुर से और एक बार जौनपुर से. लेकिन मंगेश यादव ने कभी किसी वारदात को अंजाम देने के लिए ना कभी गोली चलाई, ना किसी को चाकू मारा और ना ही पुलिस ने गिरफ्तारी के वक्त कभी कोई असलहा बरामद किया. लेकिन एनकाउंटर करते वक्त पुलिस दावा करती है कि मंगेश यादव के पास एक नहीं दो असलहे थे. एक 7.65 एमएम की पिस्तौल और एक 315 का कट्टा था.

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बहन का दावे में कितनी सच्चाई?

पुलिस के अनुसार मंगेश यादव ने 28 अगस्त को दिन में 12:15 पर सुल्तानपुर शहर कोतवाली में भरत ज्वैलर्स के यहां करोड़ों की लूट की. लेकिन मंगेश यादव की बहन कहती है कि, 28 अगस्त को तो उसका भाई उसके साथ स्कूल की फीस जमा करने उसके साथ सुबह 10:00 बजे से 2:00 बजे तक था. इतना ही नहीं बहन दावा करती है कि जिस मंगेश यादव को एसटीएफ ने 5 सितंबर के सुबह 3:15 बजे सुल्तानपुर में एनकाउंटर में मार गिराया. उस दिन पहले 2 सितंबर की रात 2:30 बजे एसटीएफ की टीम घर से उठा ले गई थी.

बाइक चोरी एक अहम कड़ी

मंगेश यादव पर दर्ज 9 मुकदमों की फेहरिस्त में आठवें नंबर का मुकदमा जौनपुर की शहर कोतवाली का बहुत अहम हो जाता है. क्राइम नंबर 348 / 2024 पर 303 (2) बीएनएस की धारा में दर्ज हुआ यह मुकदमा एक और नई कहानी बताता है. जौनपुर की शहर कोतवाली में इलाके में रहने वाले मोहम्मद नसीम अपनी मां को देखने जौनपुर के निजी अस्पताल में जाता है, जहां उनकी हीरो होंडा स्प्लेंडर बाइक चोरी हो जाती है. बाइक चोरी हुई 20 अगस्त को दिन में 2:00 बजे होती है यानी सुल्तानपुर में सर्राफा कारोबारी के यहां डकैती से ठीक 8 दिन पहले.  लेकिन इस बाइक चोरी की एफआईआर हुई, 8 दिन बाद और सुल्तानपुर डकैती के 8 घंटे बाद, 28 अगस्त रात 8 बजे दर्ज होता है, 

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एसटीएफ की तरफ से दर्ज से FIR में मंगेश यादव के पास से अमेरिकन टूरिस्टर बैग, 3 ब्रांडेड टी शर्ट, एक हाफ पैंट और एक लोटो ब्रांड की पैंट मिली थी. लेकिन मंगेश यादव के घर के हालात तो उसकी बदहाली को बयां कर रहे थे.

बदमाश की तरफ से गोली ना चलने का पहले से ही था भरोसा ?

अब सवाल उठता है कि  क्या बिकरु कांड की शहादत से भी यूपीएसटीएफ ने सबक नहीं लिया. कागजों में बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने का दावा कर असल में जींस टी-शर्ट और चप्पल में ही मंगेश यादव का एनकाउंटर करने निकल पड़ी थी. पुलिस के इस आत्मविश्वास की वजह क्या थी. क्या पुलिस को पहले से मालूम था कि उसका टारगेट मंगेश यादव पुलिस पर गोली चलाने के लायक नहीं है.

मंगेश यादव ने जब 28 अगस्त को दिनदहाड़े लूट जैसी वारदात की और उसके तीन साथी एनकाउंटर के बाद दबोचा जा चुके थे. गैंग के लीडर विपिन सिंह ने सरेंडर कर दिया था. उस पर एक लाख का इनाम हो चुका था तो फिर वह क्यों सुल्तानपुर वापस गया जहां पुलिस और एसटीएफ उसकी तलाश कर रही थी. मंगेश यादव पर दर्ज आठ मुकदमा के फेहरिस्त में कहीं पर भी असलहे के प्रयोग का या बरामदगी का कोई जिक्र नहीं आया यानी मंगेश यादव  हथियार नहीं रखता था तो फिर उस रात मंगेश यादव के पास एक पिस्तौल और एक देसी कट्टा वह कैसे लेकर चला था.

इन सवालों के नहीं मिले जवाब

जौनपुर के अगरौरा गांव में स्थित मंगेश यादव के घर की माली हालत ऐसे है कि घर में साइकिल तक नहीं थी. जबकि पुलिस उसके पास से ब्रांडेड कंपनी का बैग, कपड़े और कीमती पिस्तौल बरामदगी दिखती है. मंगेश यादव पर दर्ज 28 अगस्त के उस बाइक चोरी के मुकदमे का क्या कनेक्शन है? आखिर 20 अगस्त को जौनपुर में हुई बाइक चोरी का मुकदमा 28 अगस्त की रात 8:00 बजे सुल्तानपुर में डकैती के बाद क्यों लिखा गया? क्या यह कोई साजिश थी? या फिर पुलिस को किसी  मिले सुराग का हिस्सा.

मंगेश यादव के घर में पिता राकेश यादव गुजरात में ट्रक ड्राइवर है. घर में सिर्फ एक छोटी बहन जो दसवीं की पढ़ाई कर रही है और बुजुर्ग मां है. कहीं ऐसा तो नहीं की मंगेश यादव की चोरी की घटनाओं को देखते हुए पुलिस टीम को एनकाउंटर का आसान शिकार मिला और उसने सुल्तानपुर लूट कांड में  सरकार के दबाव को कम करने के लिए मंगेश यादव को मार गिराया.

हालांकि मंगेश यादव के एनकाउंटर पर उठ रहे सवालों पर उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने खंडन किया है और कहा कि, 'जो लोग फील्ड में ऐसी स्थिति का सामना करते हैं. उन्होंने कहा कि, उत्तर प्रदेश पुलिस पर लगाए जा रहे इन चारों आरोपों का मैं खंडन करता हूं.'
 

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