इसलिए ध्वस्त नहीं की जा सकती प्रॉपर्टी कि कोई दोषी है या आरोपी... बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में ये सब हुआ

यूपी तक

ADVERTISEMENT

Supreme Court on bulldozer action
Supreme Court on bulldozer action
social share
google news

Uttar Pradesh News : सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में हो रहे बुलडोज ए्शन के मामलों में दिशा-निर्देश तय करने के अपने आदेश को सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामे में आगे की कार्रवाई पर अंतरिम रोक को भी जारी रखा है, जिससे राज्यों को अधिक स्पष्टता मिल सके कि कब और कैसे बुलडोजर एक्शन की कार्रवाई की जा सकती है.  जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की. अदालत ने स्पष्ट किया कि सड़क के बीच में किया गया किसी भी प्रकार का धार्मिक निर्माण, चाहे वह मंदिर हो या दरगाह, उसे हटाना ही न्यायसंगत होगा। यह सामान्य जन सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है. 

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि केवल एफआईआर दर्ज होने, किसी व्यक्ति के आरोपी या दोषी होने के आधार पर बुलडोजर एक्शन की कार्रवाई नहीं हो सकती. 

कोर्ट ने दिए ये निर्देश

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट  ने कहा कि, यदि अवैध निर्माण प्रमाणित हो जाता है, तब भी संबंधित व्यक्तियों को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए. यह नहीं देखा जा सकता कि महिलाएं और बच्चे सड़कों पर आ जाएं. कोर्ट ने राज्यों ने नोटिस देने के लिए पंजीकृत डाक का प्रयोग करने का सुझाव दिया है, बजाय इसके कि संपत्ति पर केवल नोटिस चिपकाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया कि नोटिस संबंधित या संपत्ति के मालिक को ही दिया जाना चाहिए. 

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

सुनवाई के दौरान पूछे गए ये सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से पूछा कि क्या किसी व्यक्ति के अपराध में दोषी ठहराए जाने के आधार पर उसके घर पर बुलडोजर चलाया जा सकता है? इस पर तुषार मेहता ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता, चाहे मामला हत्या, रेप, या आतंकवाद का ही क्यों न हो। जस्टिस गवई ने इस पर जोड़ते हुए कहा कि चाहे वह मंदिर हो या दरगाह, अगर सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है तो उसे हटाना होगा. 

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आरोप लगाया है कि अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है और सरकार को आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने से रोका जाना चाहिए. इस आरोप पर सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि बुलडोजर की कार्रवाई से पहले 10 दिन पहले नोटिस जारी किया गया था.  उन्होंने यह भी कहा कि सभी चिंताओं को ध्यान में रखा जाएगा और केवल इस आधार पर किसी को बुलडोजर कार्रवाई का पात्र नहीं बनाया जाएगा कि उस पर किसी अपराध में शामिल होने का आरोप है. 

ADVERTISEMENT

नोटिस को लेकर ये कहा

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि एक ऑनलाइन पोर्टल की स्थापना की जाए, जिससे नोटिस देने और अन्य संबंधित प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी और सुलभ हो सकें. सुप्रीम कोर्ट ने अंततः कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और दिशा-निर्देश सभी के लिए होंगे, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं. 
 

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT