नारायण साकार हरि के लखीमपुर का यह ठिकाना रहस्यों से भरा हुआ, यहां हैंडपंप से निकलता है अमृत?

समर्थ श्रीवास्तव

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Narayan Sakar Hari News: कानपुर में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के आश्रम से तमाम राजों को बेपर्दा करने के बाद यूपी Tak की टीम बाबा के लखीमपुरी स्थित एक और ठिकाने पर पहुंची. आपको बता दें कि बाबा अपने लखीमपुरी स्थित इस ठिकाने पर लगभग 3 से 4 बार आ चुका है. आखिरी बार वह यहां 2019 में आया था. जब 15 दिन बाबा ने यहीं डेरा डाला था. बाबा के रहस्यलोक को बेपर्दा करने पहली बार यूपी Tak की टीम उसके मायावी लोक में दाखिल हुई. 

बाबा के इस ठिकाने के ठीक बाहर बड़ा सा नीले रंग का गेट लगा हुआ है. उसे पार करते हुए यूपी Tak की टीम अंदर दाखिल हुई. अंदर आते ही चारों ओर किसानी खेती की जमीन और हरे भरे बड़े-बड़े बागीचे और इन सब के बीच बना बड़ा आलीशान सा आश्रम नुमा रिजॉर्ट नजर आया. इसके और आगे बढ़ने पर दो कमरे नजर आए जो बंद थे, जैसे इसमें बाबा के कई राज समाए रखें हों. थोड़ा और आगे बढ़ने पर बाबा के रहस्यलोक में बड़ी सी पार्किंग दिखी, जहां दो महंगी और आलीशान गाड़ियां खड़ी थीं. पार्किंग में तमाम गद्दे रखे हुए थे और बाबा की बड़ी बड़ी तस्वीरें भी रखी हुई थीं. इसके अलावा पार्किंग के ऊपर भी बाबा के मंत्र लिखे हुए थे.

 

 


बाबा के इस मायावीलोक में एक किचन दिखाई पड़ी. अंदर जाने पर चूल्हा और अन्य बर्तन रखे हुए थे. बाबा जब सत्संग के दौरान यहां ठहरता था, तो यहीं खाना बनता था. यहां पर एक हैंडपंप भी था, जिसके पानी को अमृत बताया जाता है. इसके अलावा किचन से सटे एक गुफा नुमा छोटे से कमरे में बाबा के 2019 के सतसंग का पोस्टर लगा है, जिसमें उसके मिलने का समय आदि लिखा हुआ है.

इसके बाद यूपी Tak की टीम बाबा के ठिकाने में दाखिल हुई, जहां बाबा के तमाम रहस्य दबे हुए थे. एक ओर उस कमरे में बड़े-बड़े गेहूं के कंटेनर थे, तो ठीक सामने बाबा की तस्वीर रखी मिली. करीब जाने पर बाबा की एक लिखी हुई आरती चालीसा नजर आई. मौजूद लोगों ने बताया कि भक्त इस आरती का पाठ करते हैं, जिससे बाबा की कृपा बनी रहे. यहां मौजूदा लोगों का दावा है कि बाबा यहां ही आकर विश्राम करता है.

 

 

बाबा के इसी ठिकाने के और खुफिया कमरे में यूपी Tak पहुंचा तो वहां सत्संग से जुड़ा तमाम सामान रखा हुआ था. अनुयाई बताते हैं कि बाबा के आने पर इन सब का इस्तेमाल होता है. यहां किसी सिंहासन की तरह बड़े-बड़े सोने के गुंबद बने हुए हैं. दो औरतों की शक्ल में मूर्तियां बनी हुई हैं, जो किसी का स्वागत करती नजर आ रही हैं. अब हम बाबा के ठिकाने के लॉन के छोर पर पहुंचे, जहां एक झूलेनुमा रूप में ऊपर लड़कियां लगी हुई हैं. यही वो जगह है जहां बाबा आकर बैठता था और खुले खेत का मजा लेता था.

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हालांकि, यह बाबा का आश्रम नहीं है, निजी प्रॉपर्टी है जिसमें वह अक्सर आकर ठहरता है. इस प्रॉपर्टी के मालिक गोविंद जी पुरवार और उनके परिवारजन जय प्रकाश कहते हैं कि बाबा यहां 3 से 4 दफा आ चुके हैं. 2019 में जब आए तो 15 दिन रुके थे. यह दोनों ही बाबा को भगवान मानते हैं और चैलेंज करते हैं कि एक बाबा के सतसंग में बैठने से आपके विचार बाबा के लिए बदल जाएंगे.

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