एग्जिट पोल

सपा के सनातन पांडेय ने बलिया लोकसभा सीट पर BJP को फंसाया और दी टेंशन, पर कैसे? समझिए

यूपी तक

ADVERTISEMENT

Ballia Lok Sabha Seat
Ballia Lok Sabha Seat, Ballia Lok Sabha Chunav, Ballia Lok Sabha Election Result, Ballia Lok Sabha Chunav, 7th Phase Voting
social share
google news

Ballia Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम चरण पर है. 1 जून के दिन 7वें चरण का मतदान होना है. लोकसभा चुनावों के आखिरी चरण में उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों पर मतदान किया जाएगा. इन सीटों में महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, राबर्टगंज और बलिया की लोकसभा सीट शामिल हैं. बता दें कि इनमें से ऐसी कई सीटों हैं, जो यूपी की ‘हॉट सीट’ बनी हुई हैं.

ऐसी ही एक सीट है उत्तर प्रदेश की बलिया लोकसभा सीट. बलिया सीट भी देश को प्रधानमंत्री दे चुकी है. हम बात कर रहे हैं पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की. वह बलिया से ही चुनाव जीतकर देश के प्रधानमंत्री बने थे. अब भाजपा ने इस लोकसभा सीट से उनके ही बेटे नीरज शेखर को सियासी रण में उतारा है. 

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

पूर्व पीएम के बेटे को भाजपा ने बलिया के सियासी संग्राम में उतारा 

आपको बता दें कि बलिया लोकसभा सीट से ही चुनाव जीतकर ही चंद्रशेखर साल 1990 में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे. आज साल 2024 में चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर भी उसी बलिया सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं. बता दें कि नीरज शेखर वर्तमान में भाजपा से ही राज्यसभा सांसद हैं. 

बलिया में कैसी है नीरज शेखर की सियासी राह?

इस चुनाव में आखिर बलिया सीट पर क्या होने जा रहा है? यहां का समीकरण किस करवट बैठ रहा हैं? इसको लेकर राजनीति पंडितों में काफी विचार-विमर्श हो रहा है. बलिया के जातिय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मणों की है. ब्राह्मणों की जनसंख्या  यहां  3 लाख से भी अधिक है. इसके अलावा यादव, राजपूत और दलित वोटर्स भी यहां अहम भूमिका निभाते हैं. इन तीनों वर्गों की जनसंख्या की बात की जाए तो इनकी संख्या यहां करीब ढाई-ढाई लाख है. बलिया लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता की संख्या भी एक लाख के करीब है. कुल मिलाकर बलिया लोकसभा सीट पर लगभग अठारह लाख वोटर हैं.

ADVERTISEMENT

सपा और भाजपा उम्मीदवार में सीधी टक्कर

आपको बता दें कि भाजपा ने जहां नीरज शेखर को अपना उम्मीदवार बनाया है.  वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन से सनातन पांडेय बलिया से प्रत्याशी हैं. सियासी जानकारों का मानना है कि M-Y  फैक्टर, जिसे सपा का कोर वोटर्स माना जाता है, अगर उनका वोट ब्राह्मणों के साथ सनातन पांडेय को जाता है तो फिर नीरज शेखर के लिए जीत की राह मुश्किल हो सकती है. 

सियासी जानकारों की माने तो भाजपा ने बलिया से इस बार राजपूत समाज के आने वाले वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काटा है. ऐसे में पहले से क्षत्रिय समाज का विरोध झेल रही भाजपा को बलिया में भी राजपूतों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है. माना जा रहा है कि वीरेंद्र सिंह मस्त के टिकट काटे जाने को लेकर यहां के राजपूत भाजपा से खफा चल रहे हैं.

ADVERTISEMENT

2019 में हार-जीत का आंकड़ा रहा था सिर्फ 15 हजार

आपको बता दें कि साल 2019 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त और सपा-बसपा गठबंधन के सनातन पांडेय की बीच कड़ी टक्कर हुई थी. मोदी लहर के बाद भी वीरेंद्र सिंह मस्त, सनातन पांडेय को सिर्फ 15 हजार वोट से ही हरा पाए थे.
अब राजनीति पंडितों की माने तो बलिया लोकसभा सीट एकतरफा किसी भी पाले में जाती नहीं दिख रही है. ब्राह्मण वोटर्स यहां हार-जीत में अहम फैक्टर निभा सकते हैं. अब देखना ये होगा कि आखिर बलिया के मतदाता क्या फैसला लेते हैं.

कैसा रहा है नीरज शेखर का सियासी सफर?

आपको बता दें कि नीरज शेखर साल 2009 लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर बलिया से सदन जा चुके हैं. सपा ने साल 2014 में नीरज शेखर को टिकट दिया था. पर वह बीजेपी के प्रत्याशी भरत सिंह से चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2019 के लोकसभा में सपा से उनका टिकट काट दिया फिर वह भाजपा में शामिल हो गए थे. भाजाप ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया था. इस बार भाजपा ने बलिया लोकसभा सीट से नीरज शेखर पर दांव चला है.
 

(ये खबर हमारे साथ इंटर्न कर रहे अमित पांडेय ने लिखी है)

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT