15 सालों से मधु बन भारत में रह रही बांग्लादेशी महिला यहां क्या कर रही थी? कानपुर में पकड़ी गई

रंजय सिंह

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UP News: कानपुर में एक बांग्लादेशी महिला अखी मुन्सी, मधु सिंह बनकर पिछले 15 सालों से रह रही थी. इसके पास मधु सिंह के नाम का आधार कार्ड भी था तो वहीं भारतीय कागजात भी थे. दस्तावेजों के दम पर इसने लखनऊ के एलडीए कॉलोनी में घर भी ले लिया था और यह महिला वहां रह रही थी.

दरअसल इस महिला के बारे में पुलिस को तब पता चला जब पुलिस ने कानपुर के कल्याणपुर से बांग्लादेशी महिला नजमा को पकड़ा. पुलिस ने इसके साथ ही कोलकाता की रहने वाली रीना और दिल्ली की ज्योति निषाद को भी गिरफ्तार किया था. जब पुलिस ने नजमा से पूछताछ की तो उसने बताया कि लखनऊ में ही एक अन्य बांग्लादेशी महिला पिछले 15 सालों से अपनी असल पहचान छिपा कर रह रही है. इसके बाद पुलिस ने मधु सिंह बनकर रह रही अखी मुन्सी को पकड़ लिया और उसे गिरफ्तार कर लिया. 

नजमा को जेल से बाहर लाने की कोशिश कर रही थी बांग्लादेशी महिला

दरअसल जैसे ही पुलिस ने बांग्लादेशी महिला नजमा को पकड़ा तो पुलिस ने उससे पूछताछ करनी शुरू कर दी. इस दौरान उसने पुलिस को बताया कि अखी मुन्सी नाम की महिला ही उसे बांग्लादेशी से यहां लाई थी. वह यहां मधु सिंह बनकर रहती है. उसके पास यहां के सारे कागजात भी हैं. इसी के साथ नजमा ने उसका पता भी पुलिस को दे दिया. नजमा ने महिला का घर लखनऊ बताया.

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इसके बाद पुलिस ने उस महिला की भी तलाश शुरू कर दी. पुलिस जब महिला के लखनऊ स्थित घर पहुंची तो घर बंद मिला. इस दौरान पुलिस को पता चला कि महिला नजमा को जेल से छुड़ाने के लिए लगी हुई है और काफी कोशिश कर रही है. इसी दौरान पुलिस ने उसे कल्याणपुर रोड से गिरफ्तार कर लिया. अब पुलिस अखी मुन्सी से भी पूछताछ करेगी. माना जा रहा है कि इस दौरान कानपुर में रह रही कई बांग्लादेशी महिलाओं के बारे में पुलिस को पता चल  सकता है, जो यहां अवैध तरीके से रह रही हैं.

ज्योति निषाद ही है मुख्य किरदार

एसीपी अभिषेक पांडे का इस पूरे मामले पर कहना है कि दिल्ली की रहने वाली ज्योति निषाद ही इन महिलाओं को बांग्लादेश से इंडिया लाती है और यहां सेट करवाती है. बांग्लादेशी महिलाओं के भारतीय कागज कैसे बने? इसकी जांच की जाएगी. 

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आपको बता दें कि ये दोनों बांग्लादेशी महिलाएं घरों में काम किया करती थीं. वह पिछले कई सालों से यहां रह रही थीं. इनके पास सारे आवश्यक कागजात भी थे. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर इनको यहां सेट करवाने में किसने मदद की और किसने इनके भारतीय कागजात बनवाएं? बता दें कि इससे पहले भी कानपुर में कई बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए हैं, जो सालों से यहां अवैध तरीके से रह रहे थे.

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