श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: HC ने सिविल कोर्ट में सुनवाई पर लगाई रोक, जानें

पंकज श्रीवास्तव

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Mathura News: मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग वाली याचिका पर मथुरा की सिविल कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगाई है. हाईकोर्ट ने सुनवाई पर 8 हफ्ते के लिए रोक लगाई है.

बता दें कि जिला जज के आदेश से मथुरा के सिविल जज की कोर्ट में सुनवाई होनी थी. हाईकोर्ट ने सिर्फ वाद संख्या 176 /2020 की सुनवाई पर ही रोक लगाई है. जिला जज ने 19 मई 2022 को आदेश जारी कर सिविल कोर्ट को इस मामले में सुनवाई करने का आदेश जारी किया था.

सनद रहे कि जिला जज के इस आदेश को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. अब हाईकोर्ट ने इस मामले में जिला जज द्वारा दिए गए आदेश के अमल होने पर रोक लगा दी है. मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस सलिल कुमार राय की सिंगल बेंच ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर 8 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. अब 8 हफ्ते बाद होगी इस मामले में सुनवाई होगी.

गौरतलब है कि साल 2020 में मथुरा की सिविल कोर्ट में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के वाद मित्रों के तौर पर एक मुकदमा दाखिल किया गया था. इस मुकदमे में श्री कृष्ण जन्मस्थान से सटी हुई शाही ईदगाह मस्जिद की 13 एकड़ जमीन से मस्जिद को हटाए जाने और विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपे जाने की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी. सिविल कोर्ट ने 30 सितंबर 2020 को इस वाद को सुनवाई के लिए नामंजूर कर दिया था.

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सिविल कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत भगवान श्री कृष्ण विराजमान के वाद मित्र के तौर पर याचिकाकर्ता को वाद दाखिल करने का अधिकार नहीं है. सिविल कोर्ट के इस फैसले को जिला जज की अदालत में चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं ने इसके लिए जिला जज की कोर्ट में पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की थी. अर्जी पर जिला जज की कोर्ट ने इसी साल 19 मई को फैसला सुनाया. जिला जज की कोर्ट ने सिविल कोर्ट को यह बात सुनने का आदेश दिया और निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया. जिला जज के फैसले में इस मामले में 1991 के प्लेसिस ऑफ वरशिप एक्ट लागू नहीं होने की भी बात कही गई थी.

इसके बाद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. वक्फ बोर्ड की अर्जी में कहा गया कि क्योंकि मामला 25 लाख रुपए से ज्यादा मूल्य का है, इसलिए जिला जज को पुनरीक्षण अर्जी पर सुनवाई करने का अधिकार ही नहीं है. यह मामला उनके क्षेत्राधिकार से बाहर का है. अब हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई होने तक निचली अदालत में चल रहे मुकदमे पर रोक लगा दी है.

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