'शहीद होना पड़ेगा तो भी पीछे नहीं हटूंगा', ईद के दिन मुख्तार के घर पर जुटी भीड़ तो बेटे उमर ने किया ये एलान
गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के घर को फाटक के नाम से जाना जाता है. इस बार ईद में मुख्तार के घर पर भीड़ तो जुटी पर वो खुशियां मनाने के लिए नहीं बल्कि गम में शरीक होने के लिए.
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Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में फाटक इलाका...जहां हर बार ईद पर एक अलग ही रौनक होती थी, आंगन में दिग्गजों का जमावड़ा होता था. लेकिन, इस बार यहां की तस्वीर अलग सामने आई, इस बार ईद में यहां सन्नाटा छाया रहा. 28 मार्च को हुई मुख्तार अंसारी की मौत के बाद से फाटक में एक खामोशी छाई है, जो ईद पर भी कायम रही. गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के घर को फाटक के नाम से जाना जाता है. इस बार ईद में मुख्तार के घर पर भीड़ तो जुटी पर वो खुशियां मनाने के लिए नहीं बल्कि गम में शरीक होने के लिए.
मुख्तार के बिना मनी पहली ईद
बता दें कि गुरुवार को ईद के मौके पर मुहम्मदाबाद मे मुख्तार के पैतृक घर पर बड़ी संख्या मे लोग जुटे. मुख्तार की मौत कए बाद उसके परिजनो के लिए ये पहली ईद है. ऐसे मे सादगी के साथ मुख्तार के परिजनों ने ईद मनायी. इस दौरान मुख्तार के बेटे उमर अंसारी ने लोगों को सम्बोधित किया. उमर ने कहा कि आप लोग समझ सकते हैं कि, 'हमारे ऊपर किस तरह की विपत्ति पड़ी हुई है. आप लोग हमारे जख्म पर मरहम लगाने के लिए आए हुए हैं. इसके लिए मैं आप सभी का एहसानमंद हूं. आप लोग जैसे ही हमारे खुशी और गम में शामिल रहे हैं. आप सभी लोगों के दिलों में मुख्तार अंसारी साहब धड़क रहे हैं.'
मुख्तार के छोटे बेटे उमर ने आगे कहा कि, 'हमें इस बात का एहसास है और मैं आप सभी को यकीन दिलाना चाहता हूं, उनके बेटे होने के हैसियत से जब भी आपके मान सम्मान के हिफाजत के लिए जरूरत पड़ेगी तो मुझे भी अगर शहीद होना पड़ेगा तो मैं पीछे नहीं हटूंगा. उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर जो बीता लेकिन मैने आंसू नहीं बहाया.'
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जेल में मनी अब्बास की ईद
ईद के मौके पर मुख्तार अंसारी के बंगले पर मायूसी छाई रही. मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी लंबे वक्त से फरार चल रही है. बेटे अब्बास अंसारी ने बुधवार को अपने पिता की कब्र पर फातिहा तो पढ़ा, लेकिन घर जाने की इजाजत नहीं मिली. मऊ सीट से विधायक अब्बास अंसारी आर्म्स एक्ट के मामले में यूपी की कासगंज जेल में बंद हैं. अब्बास अपने पिता के जनाजे में शामिल नहीं हो पाए थे। इसके बाद फातिहा पढ़ने के लिए अब्बास ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने के बाद अब्बास को गाजीपुर लाया गया था.
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