पीलीभीत: यहां जब होता है रावण वध तो थम जाती हैं सांसे, 1987 की उस घटना को नहीं भूले लोग

सौरभ पांडेय

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Pilibhit News: आज हम आपको एक ऐसी रामलीला के बारे में बताने जा रहे हैं जहां रामलीला के दौरान रावण वध एक शर्त के साथ होता है. शर्त के अनुसार मंचन के दौरान जैसी ही श्रीराम रावण पर सांकेतिक तीर चलाकर रावण का वध करते हैं तो रावण को फौरन उठना होता है. दरअसल शर्त इसलिए हैं क्योंकि आज से कुछ साल पहले इसी मंचन के दौरान एक ऐसी घटना घटी थी जिसने सभी को चौंका दिया था.

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में जब भी रावण वध होता है तब रामलीला मंचन देख रहे लाखों लोगों की सांसे रूक जाती है. क्योंकि यहां अब तक तीन लोग रामलीला में रावण का पात्र निभाने के दौरान और रावण वध के मंचन के दौरान श्रीराम के साकंतिक तीर से मारे जा चुके हैं. पीलीभीत जिले के बीसलपुर कस्बे में होने वाली यह रामलीला अपने आप में इस क्षेत्र के लिए काफी महत्व रखती है. खास बात यह भी है कि इस रामलीला में रावण वध दशहरे के दिन नहीं किया जाता बल्कि दशहरे के बाद किया जाता है.

रावण के किरदारों की मौत बनी रहस्य

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दरअसल साल 1987 की रामलीला के दौरान गंगा विष्णु और कल्लू मल दशहरे के दिन रावण का रोल अदा कर रहे थे. मंचन के दौरान जब उनको भगवान राम का किरदार निभा रहे शख्स ने तीर मारा तो वह सच में मृत्यु को प्राप्त हो गए और मरने से पहले उन्होंने राम-राम भी बोला.

इस घटना ने सभी को चौंका दिया. इसके बाद रामलीला में रावण की एक मूर्ति बनाई गईं है और रावण की यहां लोग आज भी पूजा करते हैं. रावण का रोल निभाने वाले परिवार के लोग आज भी अपने सारे संस्थान रावण के नाम से चलाते हैं. रावण के नाम से यहां एक मंदिर भी है. यहां तक की परिवार के लोग जय राम ना बोलकर जय रावण बोलते हैं.

इस घटना के बाद यहां की रामलीला प्रसिद्ध हो गई है. इसलिए यहां जब-जब रावण वध का मंचन किया जाता है तब-तब लोगों की सांसे थम जाती हैं. जब तक रावण का किरदार वापस उठ नहीं जाता तब तक लोगों की नजरे मंच पर ही रहती हैं.

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रावण की पूजा- मंदिर और रावण के नाम से दुकान

कल्लू मल के परिवार के लोग आज भी रावण का पात्र निभाते हैं. कल्लू मल की मौत के बाद से रामलीला ग्राउंड में ही कल्लू स्वरूप दशानन की एक बड़ी मूर्ति लगा दी गई है. वहां एक पत्थर भी लगा दिया गया है जिस पर लिखा है कि राम के तीर से कल्लू मल बने रावण को मोक्ष यहीं प्राप्त हुआ था.

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रावण पात्र बने कल्लू मल की मृत्यु के बाद से ही उनके परिवार के लोगों ने अपने सर नेम के आगे रावण लगा दिया और उनकी पहचान रावण के परिवार के नाम से होने लगी है. कल्लू मल के भाई या पुत्र कोई भी काम करते हैं तो रावण का ही नाम लेते हैं जैसे लंकेश सर्राफ, रावण सर्राफ.

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