ताजमहल न होता तो आप नहीं खा पाते आगरा का मशहूर पेठा! बड़ी दिलचस्प है इसके बनने की कहानी

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पूरे विश्व में आगरा अपने ताजमहल और लाल किले की वजह से जाना जाता है. देश-दुनिया से लाखों लोग हर साल आगरा का ताजमहल और लाल किला देखने के लिए यहां आते हैं. मगर हमारे देश में आगरा सिर्फ ताजमहल या लाल किले के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है. हमारे देश में आगरा अपनी खास मिठाई ‘पेठे’ के लिए भी काफी मशहूर है. आगरा के पेठे की मांग पूरे देश में है. 

ऐसे में आप के मन में भी सवाल उठता होगा कि आखिर आगरा का ही पेठा प्रसिद्ध क्यों है? आखिर इस पेठे का इतिहास क्या है? आज हम आपको यहां आपके हर सवाल का जवाब देंगे. अब जो हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे सुन शायद आप भी चौक जाएंगे. दरअसल आगरा का ताजमहल और पेठा आपस में जुड़े हुए हैं. अगर ताजमहल का निर्माण नहीं करवाया जाता तो शायद पेठा भी नहीं बनाया जाता. इन दोनों के इतिहास आपस में काफी जुड़े हुए हैं.   

शाहजहां के काल में बनाया गया पेठा

माना जाता है कि पहली बार पेठा मुगल बादशाह शाहजहां के शासनकाल में बनाया गया था. खुद बादशाह ने इसको बनाने के आदेश दिए थे. इसके बनने की एक कहानी इतिहास में काफी चर्चित है. 

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माना जाता है कि ताजमहल के निर्माण के दौरान बादशाह ने अपने रसोइयों से एक ऐसी मिठाई बनाने के लिए कहा जो देखने में ताजमहल जैसे ही सफेद और साफ दिखती हो. राजा के आदेश पर रसोइयों ने पेठा बनाया, जो देखने में सफेद और साफ दिखता है. माना जाता है कि ये पेठा बादशाह के आदेश पर ताजमहल का निर्माण कर रहे मजदूरों को भी दिया गया. कहा जाता है कि इसे खाते ही मजदूरों को एनर्जी मिली.  

पेठे के पीछे ये कहानी भी रही है इतिहास में चर्चित

इतिहास में पेठे के निर्माण के पीछे एक कहानी और है, जो काफी प्रसिद्ध है. मगर इसका संबंध भी ताजमहल से ही रहा है. माना जाता है कि जो मजदूर ताजमहल के निर्माण में लगे हुए थे, उन्हें खाने में दाल-रोटी ही दी जाती थी. ये खाते-खाते मजदूर ऊब गए थे. कहा जाता है कि ताजमहल का निर्माण 22 सालों में हुआ और इस दौरान एक तरह का खाना खाते-खाते मजदूरों की सेहत खराब होने लगी. 

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माना जाता है कि एक दिन मजदूरों ने बादशाह से कुछ अलग खाने की इच्छा प्रकट की. शाहजहां ने मजदूरों की बात मानते हुए अपने रसोइयों को इनके लिए कुछ बनाने के आदेश दिए,

पीर ने बताई आगरा के प्रसिद्ध पेठे की विधि

बादशाह के रसोइये भी इस समस्या का हल नहीं निकाल पाए. माना जाता है कि फिर बादशाह ने ये बात अपने मास्टर आर्किटेक्ट उस्ताद ईसा को बताई. इसके बाद  उस्ताद ईसा एक पीर के पास गए. पीर ने ध्यान लगाकर पेठे की विधि उन्हें बता दी, जिसके बाद रसोइयों ने पेठे बना दिया. 

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मुगल ऐसे बनाते थे पेठा

माना जाता है कि मुगल रसोइये सफेद कद्दू को कई हिस्सों में काटते थे. इसके बाद उन हिस्सों को पानी में उबालते थे. फिर उसमें चीनी मिलाते थे. ये मिठाई खाने में काफी स्वादिष्ट और मीठी होती थी. इसके बाद इसे बादशाह और ताजमहल का निर्माण कर रहे मजदूरों को परोसा जाता था. 

आगरा में पाए जाते हैं कई तरह के पेठे

बता दें कि आगरा में कई प्रकार के पेठे बनाए जाते हैं. हर पेठे का अपना अलग स्वाद है और हर पेठा दिखने में भी अलग होता है. समय के साथ-साथ कारीगरों ने भी पेठों की कई किस्में इजाद कर दी. 

सफेद पेठा: आगरा का सफेद पेठा  आम प्रकार का पेठा होता है. ये दिखने में पारदर्शी और सफेद रंग का होता है. यह मीठा और स्वादिष्ट होता है.

गुलाबी पेठा: यह पेठा गुलाबी रंग का होता है और इसे बनाने में गुलाब जल का इस्तेमाल किया जाता है. यह भी स्वादिष्ट और सुगंधित होता है.

पान पेठा: यह पेठा पान के स्वाद वाला होता है. इसमें पान के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है. ये खाने में ताजगी फील करवाता है.

केसर पेठा: यह पेठा केसर के स्वाद वाला होता है और इसमें केसर का इस्तेमाल किया जाता है. ये पेठा काफी महंगा होता है.

बादाम पेठा: यह पेठा बादाम के स्वाद वाला होता है और इसमें इसके निर्माण में बादाम का इस्तेमाल किया जाता है. यह पेठा पौष्टिक से भरपूर माना जाता है. 

पिस्ता पेठा: यह पेठा पिस्ता के स्वाद वाला होता है और इसमें पिस्ता का इस्तेमाल किया जाता है. यह स्वादिष्ट और महंगा होता है.

गुलकंद पेठा: यह पेठा गुलकंद के स्वाद वाला होता है. इसमें गुलकंद का इस्तेमाल किया जाता है. यह स्वादिष्ट और सुगंधित होता है.

इलायची पेठा: यह पेठा इलायची के स्वाद वाला होता है और इसमें इलायची का इस्तेमाल किया जाता है. यह स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है.

आगरा की अर्थव्यवस्था की ताकत भी बना पेठा

अब आगरा का पेठा आगरा से बाहर निकलकर पूरे देश में अपनी पहचान बना चुका है. पेठा एक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक मिठाई है. पेठा अब आगरा की पहचान बन चुकी है. आगरा का पेठा कारोबार आज पूरे भारत में फैला हुआ है और यह आगरा की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

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