संघ-BJP के धुर विरोधी रहे सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को RSS की बैठक में दी गई श्रद्धांजलि

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UP Political News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने रविवार को अपनी वार्षिक बैठक में समाजवादी पार्टी (सपा) के दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव, समाजवादी नेता शरद यादव और वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण को श्रद्धांजलि दी. आपको बता दें कि आरएसएस की तीन-दिवसीय वार्षिक आमसभा रविवार को हरियाणा के समालखा में शुरू हुई, जिसमें संगठन ने ऐसे राजनीतिक नेताओं और प्रख्यात हस्तियों को श्रद्धांजलि दी, जिनका पिछले एक साल में निधन हुआ है.

पीएम मोदी की मां हीराबेन मोदी को भी दी गई श्रद्धांजलि

जिन नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई है, उस सूची में मुलायम सिंह यादव, शरद यादव और भूषण समेत 100 से अधिक नाम शामिल हैं. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी और अभिनेता-फिल्म निर्माता सतीश कौशिक भी शामिल हैं. बैठक के पहले सत्र में आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने पिछले एक साल में काल के गाल में समा चुकी प्रतिष्ठित हस्तियों के नाम पढ़े.

मुलायम रहे थे RSS-बीजेपी के धुर विरोधी

यह बात कोई ढकी छिपी नहीं है कि मुलायम सिंह यादव ने अपने पूरे सियासी सफर के दौरान आरएसएस की विचारधारा और भाजपा का विरोध किया था. 80 और 90 के दशक में जब अयोध्या आंदोलन अपने चरम पर था, तब मुलायम सिंह ने दक्षिणपंथी संगठनों की खुलकर आलोचना की थी. वहीं, दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव भी अपनी राजनीतिक पारी के दौरान हमेशा बीजेपी के निशाने पर रहे, उन्हें बीजेपी अयोध्या के ‘विलेन’ के तौर पर पेश करती रही. इतना ही नहीं विरोधियों ने सपा संस्थापक को ‘मुल्ला मुलायम’ के नाम से भी संबोधित किया था. विरोधियों ने आरोप लगाया था कि राम मंदिर आंदोलन के मुलायम सिंह यादव ने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की थी.

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ऐसा नहीं है कि आरएसएस ने मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि देकर कोई लीग से हटकर काम किया है, बल्कि इससे पहले केंद्र की मोदी सरकार ने इस साल की शुरुआत में मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्मविभूषण से सम्मानित करने का ऐलान किया था.

2024 को ध्यान में रखकर ये सब हो रहा?

यूपी में 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद रिकॉर्ड बनाने वाली बीजेपी की निगाहें अब 2024 के लोकसभा चुनावों पर हैं. बीजेपी का लक्ष्य यूपी की 80 सीटें हैं ताकि पार्टी पीएम मोदी को लगातार तीसरी बार भारत का प्रधानमंत्री बना सके. ऐसे में भारत सरकार की तरफ से दिए जाने पद्म पुरस्कारों में मुलायम सिंह यादव का नाम होना कहीं न कहीं इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि कहीं बीजेपी इसका भी सियासी फायदा उठाने की तैयारी में तो नहीं है.

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कहीं यूपी का 11 फीसदी यादव वोट बैंक तो वजह नहीं?

मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से सम्मानित करने का फैसला और अब RSS की बठैक में उनकी श्रद्धांजलि कहीं यादव वोट बैंक को तो ध्यान में रखकर नहीं लिया गया? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यूपी में 19 फीसदी मुस्लिम वोट बैंक के बाद समुदाय के स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक यादवों का है. सीएसडीएस के मुताबिक, यूपी में 11 फीसदी यादव वोटर्स हैं. लोकनीति-सीएसडीएस के पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनावों में जब अखिलेश और मायावती ने मिलकर महागठबंधन बनाया था तब उन्हें 60 फीसदी यादव वोट मिले थे. वहीं बीजेपी को 23 फीसदी यादवों ने वोट किया था.

गौरतलब है कि बीते साल 10 अक्टूबर को मुलायम सिंह यादव का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था. आपको बता दें कि पद्म सम्मान देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं और यह तीन श्रेणियों- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में प्रदान किए जाते हैं.

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(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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