भूपेंद्र चौधरी ने इंटरनल रिपोर्ट में बताईं BJP की हार की कई वजह, इसमें हैं ये विस्फोटक बातें

हिमांशु मिश्रा

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भूपेंद्र चौधरी, योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)
भूपेंद्र चौधरी, योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)
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UP News: 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उत्तर प्रदेश कैंप में हलचल मची हुई है. बता दें कि 2024 के चुनाव नतीजों पर भाजपा आलाकमान ने यूपी की इंटरनल रिपोर्ट पर चर्चा की है. सूत्रों के अनुसार, यूपी भाजपा  अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने लोकसभा चुनाव के नतीजों पर यूपी की 80 सीटो पर पार्टी के चालीस हजार कार्यकर्ताओं बातचीत और फीडबैक आधार पर 15 पेज की रिपोर्ट तैयार की है. चौधरी ने पिछले दो दिनों में पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी चीफ जेपी नड्डा से मुलाकात कर फीडबैक रिपोर्ट सौंप चर्चा की है.

रिपोर्ट में क्या है?

 

मिली जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के सभी छह क्षेत्रों पश्चिमी यूपी, ब्रज, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, गोरखपुर और काशी क्षेत्र में भाजपा के वोट शेयर में कम से कम 8 प्रतिशत की कमी आई है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 37 सीटें जीतीं, जबकि 2019 में उसे पांच सीटें मिली थीं. बीजेपी 62 सीटों से घटकर 33 सीटें पर आ गई. पार्टी के अपने आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम और काशी क्षेत्रों में पार्टी ने सबसे खराब प्रदर्शन किया, जहां उसे 28 में से सिर्फ आठ सीटें मिलीं. ब्रज में उसे 13 में से 8 सीटें मिलीं. गोरखपुर में पार्टी को 13 में से सिर्फ छह सीटें मिलीं, जबकि अवध में उसे 16 में से सिर्फ 7 सीटें मिलीं. कानपुर-बुंदेलखंड में भाजपा अपनी मौजूदा सीटें वापस पाने में विफल रही. उसे यहां 10 में से सिर्फ 4 सीटें मिलीं.

 

 

रिपोर्ट में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए ये कारण बताए गए:

  • प्रदेश में अधिकारियों और प्रशासन  की मनमानी.
  • सरकार के प्रति पार्टी कार्यकर्ताओं का असंतोष.
  • पिछलें 6 साल लगातार सरकारी नौकरियों  पेपर लीक होना.
  • राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में संविदा कर्मियों को भर्ती सामान्य वर्ग के लोगों को प्राथमिकता मिलने से विपक्ष के आरक्षण खत्म करने जैसें मुद्दे को बल मिला.
  • राजपूत समाज की पार्टी से नाराजगी.
  • संविधान बदलने पर पार्टी के नेताओ के द्वारा दिए गए बयान.
  • जल्द ही टिकट वितरण कारण. 6-7वें चरण के मतदान तक कार्यकर्ताओं जुनून में कमी आना.
  • सरकारी अधिकारियों में ओल्ड पेंशन मुद्दा हावी रहा.
  • अग्निवीर इस चुनाव बड़ा मुद्दा बन गया.
  • पार्टी का मानना है कि निचले स्तर पर चुनावी अधिकारियों के द्वारा बीजेपी के कोर मतदाताओं का वोटर लिस्ट में नाम काटे गए.  
  • पार्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग सभी सीटों पर 30 हजार से 40 हजार पार्टी के कोर वोटर के नाम वोटर लिस्ट हटाए गए.

पार्टी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस चुनाव में गैरयादव ओबीसी यानी कुर्मी, कोरी, मौर्य, शाक्य और लोध जातियां के बीजेपी को मिलने वाले वोट प्रतिशत में कमी आई है.

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रिपोर्ट के अनुसार, बसपा के कोर वोट शेयर में 10 प्रतिशत की कमी और 2019 की तुलना में पार्टी को दलितों का एक तिहाई वोट ही मिल पाया. बीएसपी का कोर वोटर जाटव और 2014 से बीजेपी को मिलने वाले और खटिक और पासी समाज के वोटर शेयर में अच्छी खासी कमी आई,  जिसका फायदा समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को मिला.

 

 

रिपोर्ट में कहा गया है पार्टी ऊपर दिए सभी कारणों को समय रहते ठीक कर ले. ऐसी खबर है कि आने वाले दिनों में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक समेत पार्टी अन्य वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुलाकर चर्चा की जाएगी.

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