मिल्कीपुर उपचुनाव में अगर साध लिया ये जातीय समीकरण तो मिल जाएगी जीत! सपा और भाजपा ने कसी कमर 

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मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी-सपा में टक्कर देखने को मिलेगी.
UP CM Yogi Adityanath and Akhilesh Yadav
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Milkipur Byelection News: अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए रास्ता साफ हो जाने के बाद उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने तैयारी तेज कर दी है. हालांकि निर्वाचन आयोग ने अभी मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है. उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीट के हाल ही में संपन्न उपचुनाव में छह सीट जीतकर उत्साहित भाजपा के लिए मिल्कीपुर सीट प्रतिष्ठा का सवाल है और वह उसे जीतने की भरसक कोशिश करेगी.

हालिया मिल्कीपुर में क्यों नहीं हुआ उपचुनाव?

मालूम हो कि मिल्कीपुर सीट का उपचुनाव भी पूर्व में हुए नौ विधानसभा सीट के उपचुनाव के साथ ही होना था लेकिन साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट के लिए हुए निर्वाचन को लेकर अदालत में याचिकाएं दायर होने की वजह से यहां उपचुनाव नहीं हो सका था. मगर हाल ही में यह बाधा समाप्त होने के बाद मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर निर्वाचन क्षेत्र से सपा नेता प्रसाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को वापस लेने की अनुमति दे दी, जिससे सीट पर उपचुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया.

 

 

पिछले महीने नौ विधानसभा सीट के हुए उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली भाजपा मिल्कीपुर सीट जीतकर अपना विजय अभियान जारी रखने की उम्मीद कर रही है, जबकि सपा इस हाई-प्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्र पर अपना कब्जा बरकरार रखने की कोशिश में है. विधानसभा की नौ सीट के लिए हाल में संपन्न उपचुनाव में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया और उसने मुरादाबाद में कुंदरकी जैसे सपा के गढ़ सहित छह सीट जीतीं, जबकि उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को एक सीट मिली. सपा ने सीसामऊ और करहल विधानसभा सीट जीतीं मगर इन दोनों ही क्षेत्रों में उसके वोट प्रतिशत में काफी गिरावट आई.

क्यों हो रहा मिल्कीपुर में उपचुनाव?

मिल्कीपुर सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उस अयोध्या लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है जिस पर पिछले लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की थी. उससे पहले वह मिल्कीपुर विधानसभा सीट से विधायक थे. सांसद चुने जाने के बाद उनके इस सीट से इस्तीफा देने के चलते यहां उपचुनाव कराना जरूरी हो गया है. 

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क्या है यहां का जातीय समीकरण?

मिल्कीपुर के जातीय समीकरणों पर निगाह डालें तो यहां दलित वोट अहम भूमिका निभाते हैं. सीट पर 3.5 लाख पात्र मतदाताओं में से 1.2 लाख दलित, करीब 55,000 यादव (ओबीसी) और 30,000 मुस्लिम हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि जो भी दलितों के साथ-साथ 60,000 ब्राह्मणों, 25,000 क्षत्रियों और अन्य पिछड़े वर्गों का समर्थन हासिल करेगा, वही विजयी होगा. देखना यह है कि क्या सपा का 'पीडीए' फॉर्मूला इस सीट पर उसी तरह काम करेगा जैसा इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में किया था या फिर भाजपा जातिगत विभाजन को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो पाती है. 

 

 

गौरतलब है कि साल 2002 में सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के बाबा गोरखनाथ को हराकर यह सीट जीती थी. प्रसाद को जहां 49.99 प्रतिशत वोट (1,03,905) मिले थे, वहीं गोरखनाथ को 41.83 प्रतिशत (90,567) वोट मिले थे. 

सपा ने अजीत प्रसाद को दी है टिकट

सपा ने मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए अयोध्या से मौजूदा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया है, वहीं भाजपा ने अभी तक अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है. बसपा ने पहले ही उपचुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस अपने सहयोगी दल सपा को समर्थन जारी रख सकती है. 

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