मायावती ने कृषि कानून वापस लिए जाने को चुनावी स्वार्थ, मजबूरी का फैसला बताया

भाषा

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बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को कृषि कानून वापस लिए जाने को चुनावी स्वार्थ और मजबूरी का फैसला बताया है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार की नीयत पर शक किया जा रहा है. उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ‘किसानों ने कांग्रेस की इंदिरा गांधी सरकार के अहंकार और तानाशाही वाले रवैये को काफी झेला है. अब पूर्व की तरह स्थिति देश में दोबारा नहीं होनी चाहिए.’

बीएसपी नेता ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, ‘‘देश में तीव्र आन्दोलन के बाद तीन विवादित कृषि कानूनों की वापसी की केंद्र सरकार की घोषणा का देर आए दुरुस्त आए यह कहकर स्वागत किया गया, किन्तु इसे चुनावी स्वार्थ व मजबूरी का फैसला बताकर भाजपा सरकार की नीयत पर भी शक किया जा रहा है. अतः इस बारे में कुछ और ठोस फैसले जरूरी हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए केंद्र किसानों की उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए नया कानून बनाने तथा देश की आन, बान व शान से जुड़े अति गम्भीर मामलों को छोड़कर आन्दोलित किसानों पर दर्ज बाकी सभी मुकदमों की वापसी आदि भी सुनिश्चित करे, तो यह उचित होगा.’’

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मायावती ने कहा, ‘‘वैसे पूर्व में देश ने खासकर कांग्रेस पार्टी की श्रीमती इन्दिरा गांधी की सरकार के अहंकार एवं तानाशाही वाले रवैये को काफी झेला है, लेकिन अब देश को उम्मीद है कि पूर्व की तरह वैसी स्थिति दोबारा उत्पन्न न हो.’’

मायावती ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि किसानों का बलिदान रंग लाया और सरकार ने अंत में तीन विवादास्पद कानूनों को वापस ले लिया, हालांकि इसकी घोषणा बहुत देर से की गई. उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून वापस लेने का फैसला केंद्र सरकार को बहुत पहले ले लेना चाहिए था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की शुक्रवार को घोषणा की थी.

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