कृषि कानून वापस, अब यूपी चुनाव में किसके साथ जाएगी RLD? जयंत ने फिर साफ की तस्वीर

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शुक्रवार, 19 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया, तो यूपी की राजनीति में भी बड़ी खलबली मच गई. सत्ता पक्ष और विपक्ष से लेकर इसपर तमाम प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं. ऐसे में एक प्रतिक्रिया राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के नेता जयंत चौधरी की भी सामने आई है, जो यूपी की सियासत के नजरिए से काफी अहम है. आपको बता दें कि यूपी में बीजेपी सरकार के खिलाफ किसानों के कथित असंतोष की लहर पर सवार होकर आरएलडी पश्चिमी यूपी की अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिशों में जुटी है. जयंत एक बार फिर जाट-मुस्लिम एकता की कोशिशों में जुटे हैं, जो 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पूरी तरह टूट गई थी. यही वजह है कि आरएलडी भी नए कृषि कानूनों को लेकर काफी हमलावर थी.

अब जब पीएम मोदी ने नए कृषि कानूनों का वापस लेने फैसला किया, तो सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ कि क्या यूपी में 2022 के विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी के स्टैंड में कोई बदलाव आए. आपको बता दें कि आरएलडी और समाजवादी पार्टी, दोनों ने ही घोषणा कर रखी है कि दोनों दल आगामी यूपी चुनाव साथ लड़ेंगे. जयंत सिंह ने फिर एक बार अपने पॉलिटिकल स्टैंड को लेकर आशंका के सारे बादल साफ किए हैं.

जयंत ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा है कि आरएलडी और एसपी साथ ही रहेंगी. उन्होंने कहा कि नवंबर के अंत तक इसको लेकर अंतिम फैसला कर लिया जाएगा. यानी जयंत ने एक तरह से एसपी से अलग जाने की किसी संभावना पर विराम ही लगाने का काम किया है.

पूरब से लेकर पश्चिम तक, यूपी में बीजेपी को घेरने की तैयारी

यूपी में 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने इस बार पूर्वी से लेकर पश्चिमी यूपी तक खास रणनीति बनाई है. अखिलेश यादव ने पूर्वांचल में बीजेपी के सहयोगी रहे ओम प्रकाश राजभर को अपने पाले में कर लिया है. पिछले दिनों अखिलेश ने राजभर को साथ लेकर पूर्वांचल एक्सप्रेस से विजय रथ यात्रा निकाली और भारी भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन किया. अखिलेश ने तो यहां तक दावा किया है कि पूर्वांचल में उनकी इसी ताकत को देख पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है.

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एसपी ने पश्चिमी यूपी के जाट वोटों को इस बार आरएलडी की मदद से साधने की योजना बनाई है. 2014 के चुनावों के बाद से ही बीजेपी ने जाट समुदाय के वोटों को मजबूती से अपने पाले में कर रखा है. सीएसडीएस लोकनीति के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 77 फीसदी जाट वोट मिले. 2019 में बीजेपी दो कदम और आगे बढ़ी और पार्टी को 91 फीसदी जाट वोट मिले.

हालांकि किसान आंदोलनों को लेकर जाट वोटर्स की बीजेपी से कथित नाराजगी का दावा किया जा रहा है. खुद पश्चिमी यूपी से आने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मेघालय राज्यपाल सत्यपाल मलिक तक ने दावा किया था कि जमीनी हालत यह है कि बीजेपी के नेता पश्चिमी यूपी के गांवों में नहीं जा सकते.

अब जबकि पीएम मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया है, तो यह देखना रोचक होगा कि विपक्ष कैसे किसानों के मुद्दों पर सरकार को घेरता है. जयंत चौधरी के लिए भी पश्चिमी यूपी में अपनी खोई जमीन वापस पाने का काम इस नए फैसले के बाद कितना कठिन होगा, यह भी आने वाला वक्त बताएगा.

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