IIT में एडमिशन की कानूनी लड़ाई लड़ रहे अतुल की कहानी, फीस और सहारा देने वाले ये गांववाले भी अद्भुत

संदीप सैनी

26 Sep 2024 (अपडेटेड: 26 Sep 2024, 11:52 AM)

UP News: अतुल ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद JEE अडवांस परीक्षा पास की और IIT धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग की सीट प्राप्त की. लेकिन 17500 रुपये की फीस का इंतजाम करते-करते दाखिला पोर्टल बंद हो गया, जिससे उसका दाखिला रद्द हो गया.

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UP News: उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा गांव जहां एक दिहाड़ी मजदूर के परिवार की खुशी कुछ ही समय में आंसुओं में बदल गई. राजेंद्र के बेटे, अतुल ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद JEE अडवांस परीक्षा पास की और IIT धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग की सीट प्राप्त की. लेकिन 17500 रुपये की फीस का इंतजाम करते-करते दाखिला पोर्टल बंद हो गया, जिससे उसका दाखिला रद्द हो गया.H

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आंसुओं में बदल गई थी खुशी

मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा सीट के टिटोडा गांव निवासी अतुल कुमार का परिवार अत्यंत गरीब है. अतुल ने आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर की सीट प्राप्त की थी. मगर, गरीबी की मार ऐसी पड़ी कि 24 जून को आखिरी तारीख तक वो फीस जमा नहीं कर पाया. अतुल का कहना है कि उनका परिवार गांव वालों से कर्ज लेकर फीस का इंतजाम तो कर लिया था, मगर ऑनलाइन डॉक्यूमेंट सबमिट करते समय वेबसाइट ऑटोमेटिकली लॉग आउट हो गई थी.

इस स्थिति को सुधारने के लिए अतुल पहले झारखंड हाई कोर्ट गए, फिर मद्रास हाई कोर्ट में भी अपना मामला दर्ज कराया. बाद में सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा जहां 24 सितंबर को सुनवाई हुई। अतुल के अनुसार, जज ने आश्वासन दिया कि पूरी मदद की जाएगी और कॉलेज को नोटिस जारी किया जाएगा. अब अगली सुनवाई 30 सितंबर को तय की गई है.

पिता करते हैं मजदूरी

अतुल के पिता राजेंद्र किसी फैक्ट्री में मजदूरी का काम करते हैं और माँ राजेश देवी घास लाकर बच्चों की पढ़ाई में मदद करती हैं. अतुल का कहना है कि उन्होंने कानपुर स्थित गहलोत सुपर 100 इंस्टिट्यूट से तैयारी की थी. अतुल के तीन भाई हैं जो भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं.

यूपी तक से बात करते हुए अतुल ने बताया कि, हमारे परिवार की स्थिति आर्थिक रूप से कठिन है। मेरी आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन हुआ था, लेकिन फीस जमा करने में देरी हो गई और मेरा एडमिशन रद्द कर दिया गया. 24 जून की डेटलाइन थी, और हम 4:45 तक फीस का इंतजाम कर पाए थे. हमें 5:00 बजे तक डॉक्यूमेंट्स अपलोड करने थे और फीस जमा करनी थी. सही समय पर डॉक्यूमेंट अपलोड करते हुए 4:56 पर सिस्टम ऑटोमेटिक लॉगआउट हो गया. इस तकनीकी समस्या के चलते हम दोबारा फीस जमा नहीं कर पाए और हमारा एडमिशन रद्द हो गया.

इसके बाद, हमने न्याय पाने के लिए पहले झारखंड हाई कोर्ट और फिर मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की. मद्रास हाई कोर्ट ने हमें सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी. 24 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हमारी सुनवाई थी, जहां हमारे एडवोकेट ने समस्या को जज के सामने रखा. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने हमारी समस्या को गंभीरता से लेते हुए नोटिस जारी करने का आदेश दिया और अगले सोमवार को दूसरी सुनवाई रखी गई.

गांव वाले भी अतुल के साथ

गांववाले और पड़ोसी भी अतुल की परिश्रम और सफलता की गवाही देते हैं. उनके शिक्षक, राजकुमार का कहना है कि अतुल पढ़ाई में बहुत ही इंटेलिजेंट है और गरीबी के बावजूद उसने अपनी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है. अतुल और उसका परिवार अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे फिर से अपनी शिक्षा जारी रख सकें. इस संघर्ष में अतुल का पूरा गांव उसके साथ खड़ा है, उम्मीद है कि उसका सपना साकार होगा और उसका परिवार भी इस सफलता से ऊपर उठ सकेगा.

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