ज्ञानवापी केस: DU के प्रोफेसर रतन लाल के शिवलिंग पर दिए बयान पर मचा बवाल, अब ये कहा

कुमार कुणाल

18 May 2022 (अपडेटेड: 14 Feb 2023, 09:01 AM)

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग पर जो बयान दिया है उससे सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है.…

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दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग पर जो बयान दिया है उससे सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है. इधर मामले को लेकर UP Tak ने प्रोफेसर रतन लाल से खुलकर बातचीत की. रतनलाल ने कहा कि मैंने गलत क्या कह दिया. लोग कह रहे छेड़छाड़ हुआ है, मैंने कहा- शिवलिंग को काटा गया है. बात तो वहीं है.

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रतन लाल ने कहा कि इतिहास का छात्र हूं और इतिहास का छात्र अपने हिसाब से चलता है. अगर आधा गिलास पानी है तो आप कह सकते हैं कि आधा भरा हुआ है या आधा खाली है. जो शिवलिंग की बात कही जा रही है वह तोड़ा हुआ नहीं लग रहा है काटा हुआ लग रहा है. मैंने क्या लिखा कि अगर मुसलमान इस देश में आए और उन्होंने कन्वर्जन कराया तो पहला काम क्या होता है, जैसे ईसाई धर्म में ‘बपतिस्मा’ होता है उसी तरीके से इस्लाम धर्म में ‘खतना’ होता है.

2024 का चुनावी एजेंडा सेट किया जा रहा- प्रोफेसर

प्रोफेसर रतन लाल ने कहा कि साधु भी कह रहे हैं कि छेड़छाड़ हुआ है. टेलीविजन पर भी यही कहा जा रहा है, तो मैं भी तो यही कह रहा हूं कि खतना हुआ है और यह मेरी राय है. यह तानाशाही है कि आप मुझे बोलने नहीं देंगे. कोई भी डॉक्यूमेंटल प्रूफ नहीं है कि ज्ञानवापी मस्जिद कब बना और अगर दो मौलाना और दो साधु बैठाकर के बहस कराया जा रहा है कि वहां मंदिर है तो मैं यह भी कह रहा हूं कि यह 2024 के चुनाव का एजेंडा सेट किया जा रहा है.

मैंने किसी को गाली नहीं दी- रतन लाल

रतन लाल ने कहा कि मैंने किसी को गाली नहीं दी है. मैंने अपना ओपिनियन रखा है. उस पर मुझे गालियां दी जा रही हैं. अंबेडकर को गाली दी जा रही है. तो क्या इस देश में लोकशाही नहीं है. अगर पीपल का पत्ता भी तोड़ दे तो भावना आहत हो जाती है और क्या मेरी भावना आहत नहीं हो रही है. अगर लोग मुझे गालियां दे रहे हैं तो मैंने अगर एक शब्द इस्तेमाल किया तो उनकी भावना है आपके पांव चरण और मेरे पांव लात.

गीता प्रेस में छपने वाली किताबें जला दीजिए- प्रोफेसर

रतन लाल ने कहा कि गीता प्रेस में जो किताबें छापी जाती हैं उसे जला दीजिए. अंबेडकर साहब ने जो किताबें लिखी है उसे जला दीजिए. अगर खजुराहो में मंदिर बना हुआ है, उस पर अगर मैं बोल दूं काम भावना की मुद्रा में हैं तो उससे क्या आपकी भावना आहत हो जाएगी. क्या मंदिर में योनि की पूजा होती है, कोणार्क में किसी और चीज की पूजा होती है तो उससे क्या आपकी भावनाएं आहत हो जाती हैं. आप मुझे गाली नहीं दे सकते.

गाली देने वाले क्या चाहते हैं- हिंदुस्तान ‘तालिबान’ हो जाए?

औरंगजेब ने क्या ब्राह्मणों को दक्षिणा नहीं दिया? मंदिरों को दक्षिणा नहीं दिया? यह भावना नहीं गाजर मूली है. मैंने राय दी है और मैंने राष्ट्रवादी इतिहास पर पीएचडी की है. आप मेरी राय से ऐसा मत हो सकते हैं और जितने लोगों ने मुझे गाली दी है क्या उन पर एफआईआर नहीं होना चाहिए? आप गाली दे रहे हैं तो आप क्या चाहते हैं कि हिंदुस्तान को तालिबान बना दिया जाए. मेरी बातों से कैसे भावना हर्ट हो गई है. आप कह रहे हैं कि शिवलिंग को तोड़ा गया है. मैं कह रहा हूं कि काटा गया है. तो मेरी भी बात तो यही है कि छेड़छाड़ की गई है.

रतन लाल ने कहा कि शिवलिंग पर पांच लकीर खींची गई हैं. उसकी व्याख्या कौन करेगा? लोग गालियां दे रहे हैं. उन लाखों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना चाहिए और अगर आपको करना है तो बहस कीजिए मंच बनाइए इतिहासकार बुलाइए. इस देश में दलित बैकवर्ड और मुसलमान की कोई आस्था नहीं है. सिर्फ आस्था आप ही की है. अगर मुझे जान से मारना है तो मार दीजिए. इस देश में क्या लोकशाही नहीं है. आप सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जाइए.

मस्जिदों की डीप खुदाई होनी चाहिए- प्रोफेसर

मस्जिदों की डीप खुदाई होनी चाहिए और अगर वहां से बौद्ध विहार निकले तो उनको भी वापस करना चाहिए. कई जगहों पर मैं गया हूं जहां पर विष्णु के मंदिर बना दिए गए हैं. सिर्फ हिंदुओं की आस्था नहीं है, बौद्ध की भी है.

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