उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में पारंपरिक खेती को छोड़कर लंबा मुनाफा देने वाली फसल के नाम पर किसानों को केसर की जगह कुसुम पकड़ाई जा रही है, जिसे अमेरिकन केसर बोलकर 20 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेची जा रही है. इससे किसान ठगी का शिकार हो रहे हैं.
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कुसुम और केसर में क्या फर्क है, इसको समझने के लिए हमने इलाके के कई किसानों और कृषि वैज्ञानिकों से बात की, तो उसका निचोड़ यह निकला कि केसर ठंढे वातावरण में पैदा होता है.
कुसुम और केसर के नाम पर ठगी करने वाले किसानों को कुसुम की फसल दिखाकर अमेरिकन केसर बताते हैं. ठग किसानों को बताते हैं कि इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है.
रिटायर्ड कृषि वैज्ञानिक हबीब खान ने बताया, “केसर हमारे इलाके में पैदा नहीं हो सकता है. किसान झांसे में न आएं. हमारा ड्राई इलाका है, केसर ठंढे इलाके की फसल है, जो वाकई में महंगा है. जो लोग अमेरिकन केसर के नाम पर कुसुम ले आते हैं वह ठगे जा रहे हैं.”
रिटायर्ड एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर रामसनेही साहू ने बताया कि हमीरपुर के कई गावों का उन्होंने दौरा किया और हर जगह केसर की जगह उनको कुसुम बोते किसान दिखाई दिए. बीते साल कंजौली डेरा और चंदौखी के किसानों ने भी इसकी खेती की थी, जिसका रिजल्ट तेल तक सीमित रहा.
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