Uttar Pradesh News : मुजफ्फरनगर में स्कूली छात्र को थप्पड़ लगवाने वाली घटना पर सुनवाई करते हुए इसकी जांच सीनियर आईपीएस अधिकारी की निगरानी में कराए जाने का आदेश दिया है. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर में एक छात्र को थप्पड़ मारने और एक धर्म विशेष के मानने वालों पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की अर्जी पर जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्थल की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि जिस अंदाज में एफआइआर दर्ज की गई है, वो आपत्तिजनक है.
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सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हमारी भी गंभीर आपत्ति है. क्या स्कूलों ने ऐसे गुणवत्ता परक शिक्षा दी जा रही है? हम इसकी गहराई में जाएंगे. राज्य सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेते हुए शीघ्र और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी. क्या स्कूल ने बच्चे की काउंसलिंग के लिए किसी विशेषज्ञ काउंसलर को नियुक्त किया है. ये काफी गंभीर मुद्दा है. शिक्षक समाज के एक वर्ग पर टिप्पणी कर रही थी.
मुजफ्फरनगर का था मामला
बता दें कि अगस्त में वायरल हुए एक वीडियो में नेहा पब्लिक स्कूल की टीचर एक छात्र को अन्य छात्रों से थप्पड़ लगवाते हुए एक समुदाय पर विवादित टिप्पणी भी कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि यह आपराधिक कानून को लागू करने में विफलता का मामला है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के मौलिक अधिकारों के साथ आरटीई एक्ट का भी उल्लंघन है. कोर्ट के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट तीन हफ्ते में देने का आदेश यूपी सरकार को दिया है. शिक्षा विभाग के सचिव को रिपोर्ट देनी होगी.
मामले की जांच IPS अधिकारी से कराने का आदेश
वहीं इस मामले में अगली सुनवाई 30 अक्तूबर को तय की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के FIR पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीड़ित छात्र के पिता के बयान के बावजूद कि धर्म की वजह से बच्चे को पीटा गया, FIR में इस बात का ज़िक्र नहीं है. राज्य सरकार को निर्देश दिया कि पीड़ित बच्चे को विशेषज्ञ बाल सलाहकार नियुक्त कर बच्चे को काउंसिलिंग दी जाय ताकि वो इस सदमे और तनाव से बाहर आ सके. सरकार की जिम्मेदारी है कि वो किसी अन्य स्कूल में पीड़ित छात्र की आगे की गुणवत्ता परक शिक्षा का समुचित इंतजाम कराए.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अवैध तरीके से स्कूल चलाने पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या पीडित छात्र की काऊंसिल कराई गई. कोर्ट ने कहा कि केवल पीड़ित बच्चे का ही नहीं, उन बच्चों की भी होनी चाहिए जिन्होंने बच्चे को पीटा था. यूपी सरकार ने बताया कि चाइल्ड वेलफेयर विभाग ने काउंसिलिंग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को पीडित बच्चे की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. ये गंभीर मामला है, हम इसे हल्के में नहीं ले रहे हैं.
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