Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के बाहुबलियों का जब भी जिक्र किया जाता है, उसमें हमेशा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का नाम लिया जाता है. प्रदेश की राजनीति भी बिना बाहुबली नेता राजा भैया के नाम के बिना अधुरी मानी जाती है. प्रतापगढ़ की भदरी रियासत के राजा, राजा भैया का असर सिर्फ प्रतापगढ़ तक ही नहीं बल्कि उसके आस-पास के कई जिलों में भी है. दरअसल, राजा भैया का जब भी जिक्र होता है, ना जाने कितने किस्से-कहानियों सामने आ जाते हैं. राजा भैया की जिंदगी का हर पहलू अपने आप में खास है. उनकी दबंगई, उनकी राजनीति, उनकी पर्सनल लाइफ, सभी कुछ चर्चओं में रहता है और यूपी के सियासी गलियारों में भी घुमता रहता है. आज हम बात कर रहे हैं, उन बाबा की, जिनका नाम राजा भैया की जिंदगी में काफी अहम है. दरअसल हम बात कर रहे हैं राजा भैया के गुरु देवरहा बाबा की. इससे पहले हम आपको राजा भैया के बारे में सबकुछ बताते हैं.
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भदरी रिसायत के राजा हैं राजा भैया
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया प्रतापगढ़ की भदरी सियासत के राजघराने से संबंध रखते हैं. उनके पिता भदरी की पूर्व रियासत के राजा हैं. जब से राजा भैया ने राजनीति में कदम रखा है, तभी से राजा भैया का प्रभाव उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी हमेशा से रहा है. राजा भैया मुलायम सिंह यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री तक रहे हैं. तो वही बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती से उनकी अदावत और उनके जेल के किस्से भी यूपी में हर किसी की जुबान पर रहे हैं. फिलहाल राजा भैया ने अपनी खुद की पार्टी बनाई है, जिसका नाम जनसत्ता दल लोकतांत्रिक है.
राजा भैया की जिंदगी के अहम किरदार हैं देवरहा बाबा?
राजा भैया जब भी अपनी जिंदगी का जिक्र करते हैं, वह एक नाम अवश्य लेते हैं. वह नाम है देवरहा बाबा का. राजा भैया हर बार देवरहा बाबा का जिक्र करते हुए नजर आते हैं. राजा भैया यहां तक कहते हैं कि आज वह जिस भी मुकाम पर हैं, वह देवरहा बाबा के आशीर्वाद की ही बदौलत है. दरअसल, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का नाम भी देवरहा बाबा ने ही रखा है. इसकी कहानी राजा भैया खुद सुनाते हैं. वह बताते हैं, जन्म से पहले माता-पिता देवराहा बाबा के पास गए थे. उस दौरान बाबा ने ही बोला था कि इस बार उनके माता-पिता को लड़का होगा. रियासत में बेटे का जन्म होगा. यहां तक की जन्म के बाद उनका नाम भी बाबा ने ही रखा. राजा भैया कहते हैं कि वह अपने किसी भी काम का प्रारंभ सबसे पहले देवराहा बाबा को याद करके शुरू करते हैं.
अब आप भी सोच रहे होगें कि आखिर ये देवरहा बाबा हैं कौन? जिनका नाम राजा भैया हमेशा लेते रहते हैं. दरअसल जब-जब देश के सबसे बड़े और रहस्यमी संतों का नाम आएगा, उनमें देवरहा बाबा का नाम हमेशा आएगा. देवरहा बाबा के साथ कई किस्से-कहानियां जुड़े हुए हैं. इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेते थे. कहा तो ये भी जाता है कि कांग्रेस का पंजा चुनाव चिन्ह देवरहा बाबा ने ही दिया था.
देवरहा बाबा, उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला में एक संत और सिद्ध महापुरुष थे. 19 जून 1990 को योगिनी एकादशी के दिन समाधि लेने वाले बाबा के जन्म के बारे में कई किस्से-कहानियां हैं. उनके बारे में कहा जाता है कि वह कई सौ साल तक जीवित रहे थे. सात ही उनके बारे में मान्यता है कि वह हिमालय में अनेक वर्षों तक अज्ञात रूप में रहकर उन्होंने साधना की थी. भारत के कई बड़े राजनेता और उच्च पदों पर बैठे लोगों ने भी देवरहा बाबा के बारे में काफी कुछ लिखा है.
(इस खबर को यूपीतक से साथ इंटर्नशिप कर रहे अमित पांडे ने लिखी है.)
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