OBC, SC/ST को इंटरव्यू में बाहर करने के आरोप पर UP सरकार ने दिया जवाब, अब क्या करेंगी अनुप्रिया?

कुमार अभिषेक

29 Jun 2024 (अपडेटेड: 29 Jun 2024, 08:09 PM)

UP News: केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने साक्षात्कार वाली नियुक्तियों में एससी-एसटी और ओबीसी अभ्यर्थियों के साथ गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए एक पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा था. अब उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की तरफ से अनुप्रिया पटेल का जवाब दिया गया है.

Cm Yogi and Anupriya Patel

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UP News: हाल ही में एनडीए में शामिल अपना दल (एस) की चीफ और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में अनुप्रिया पटेल ने एसटी-एससी और ओबीसी नियुक्तियों में साक्षात्कार के जरिए भरी जाने वाली नौकरियों में गड़बड़ी की बात कही थी. केंद्रीय मंत्री का कहना था कि साक्षात्कार के जरिए भरी जाने वाली नौकरियां में आरक्षित सीटों पर ओबीसी-एससी-एसटी अभ्यर्थियों की नियुक्तियां नहीं हो रही हैं. सीटें आरक्षित होने पर भी एसटी-एससी और ओबीसी अभ्यर्थियों को Not found suitable लिखकर नौकरी नहीं दी जा रही है. अनुप्रिया पटेल का कहना था कि इन सीटों को बाद में अनारक्षित भी किया जा रहा है. अनुप्रिया पटेल के इस पत्र ने यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया था.

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अब सरकार की तरफ से अनुप्रिया पटेल को जवाब भेजा गया है. यूपी लोक सेवा आयोग की तरफ से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को पत्र का जवाब भेजा गया है. सरकार की तरफ से अनुप्रिया पटेल द्वारा लगाए गए आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया गया है. यूपी लोक सेवा आयोग की तरफ से कहा गया है कि साक्षात्कार की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होती है, जिसमें कोडिंग के जरिए नाम क्रमांक और आयु और आरक्षण श्रेणी को छुपा लिया जाता है. 

'साक्षात्कार बोर्ड Not Found Suitable लिखता ही नहीं'

यूपी लोक सेवा आयोग ने अपने जवाब में बताया है कि अभ्यर्थियों का व्यक्तिगत विवरण इंटरव्यू बोर्ड के सामने नहीं भेजा जाता है. इसलिए साक्षात्कार बोर्ड Not Found Suitable नहीं लिखता, बल्कि ग्रेडिंग देता है. जवाब में आगे कहा गया है कि, दो पालियों में होने वाले साक्षात्कार के औसत अंक को जोड़कर रिजल्ट तैयार किया जाते हैं. साक्षात्कार के लिए जो अंक तय किए गए हैं, वही पैमाना है. 

यूपी लोकसेवा आयोग ने आगे बताया है, सामान्य, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए 40 प्रतिशत अंक सफल होने के लिए रखे जाते हैं, जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 35 प्रतिशत अंक सफल होने के लिए निर्धारित हैं.

'आरक्षित वर्ग की सीट किसी दूसरे वर्ग को नहीं दी जाती'

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपने जवाब में लिखा, शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है. अगर कोई ओबीसी-एससी/एसटी उम्मीदवार चयनित नहीं हो सका तो उसकी भर्तियां किसी और वर्ग को नहीं दी जाती. दूसरी तरफ अगर कोई सफल उम्मीदवार उस पद के लिए नहीं मिला तो ऐसे में उस पद को उसी समूह के लिए Carry Forward कर दिया जाता है. अपने जवाब में यूुपी लोक सेवा आयोग ने साफ लिखा है कि कभी भी कोई आरक्षित वर्ग की सीट किसी दूसरे वर्ग को नहीं दी जाती है. आरक्षित वर्ग की सीटें अनरिजर्व्ड कर सामान्य वर्ग को दिए जाने कोई प्रावधान नहीं है और ना ही कभी ऐसा किया गया है.  ऐसे में सरकार भी कभी ऐसा करने की इजाजत नहीं दे सकती है.

क्या था पूरा मामला?

दरअसल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा था. उन्होंने उस पत्र में आरोप लगाते हुए कहा था कि प्रदेश सरकार की साक्षात्कार वाली नियुक्तियों में ओबीसी-अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को यह कहकर छांट दिया जा रहा है कि वह योग्य नहीं हैं. केंद्रीय मंत्री ने पत्र में साफ कहा था कि 'Not Found Suitable' कहकर नियुक्तियों से एसटी-एसटी/ओबीसी को रोका जा रहा है. बाद में इन पदों को अनारक्षित घोषित कर दिया जा रहा है. ऐसे में इस व्यवस्था पर फौरन रोक लगाई जानी चाहिए. अब केंद्रीय मंत्री के पत्र का जवाब यूपी लोक सेवा आयोग ने दे दिया है.

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