Shri Prakash Shukla Police Encounter : उत्तर प्रदेश में एक ऐसा अपराधी और माफिया जिसकी मौत को कई दशक हो गए पर किस्से-कहानियों में आज भी जिंदा है. 90 के दशक के उत्तर प्रदेश के इस माफिया के उभार ले लेकर अंत तक की कहानी बिल्कुल फिल्मी है. अपराध की दुनिया में आने के बाद इस गैंगेस्टर की हिम्मत उस हद तक पहुंच चुकी थी कि उसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की ही सुपारी ले ली थी. इस गैंगस्टर का नाम था श्रीप्रकाश शुक्ला. लखनऊ में तत्कालीन सीओ और अब रिटायर्ड IPS राजेश पांडेय यूपी पुलिस उन चुनिंदा अफसरों में से एक हैं, जो श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर में शामिल रहे, उन्होंने माफिया को लेकर अपनी किताब 'वर्चस्व' में विस्तार से लिखा है.
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श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर की पूरी कहानी
रिटायर्ड IPS राजेश पांडेय ने लल्लनट़ॉप को दिए गए एक इंटरव्यू में बताया कि, 'यूपी एसटीएफ देश में ऐसा पहला यूनिट था जो एक अपराधी को काउंटर करने के लिए बनाया गया था और वो अपराधी था श्रीप्रकाश शुक्ला.' उन्होंने आगे बताया कि, उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे. उन्होंने यूपी एसटीएफ के पहले प्रमुख अजय राज शर्मा को श्रीप्रकाश शुक्ला को काउंटर करने के लिए एक टीम बनाने को कहा. ऐसा कहा जाता है कि सीएम को किसी ने बताया था कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने उन्हें मारने की सुपारी ली है. उन्होंने शर्मा की देखरेख में एक यूनिट स्थापित करने का निर्देश दिया. शुरू में इसमें तीन-चार लोगों को तैनात किया गया था, जिनमें IPS अधिकारी अरुण कुमार, सत्येंद्र वीर सिंह और मैं शामिल था. इसके अलावा कुछ ड्राइवर, एक सब-इंस्पेक्टर और 10-12 कांस्टेबल शामिल थे. अजय राज शर्मा ने जो किताब लिखी है, ‘बिटिंग द बुलेट: मेमोयर्स ऑफ ए पुलिस ऑफिसर’ इसमें इस बात का जिक्र है.
साक्षी महराज को मारने का बनाया था प्लान
राजेश पांडेय ने आगे बताया कि, 'मायावती के करीबी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के लखनऊ के एक शादी में श्रीप्रकाश शुक्ला और हमारी जानकारी के मुताबिक उनके बेटे की मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात में क्या बात हुई ये तो नहीं पता पर कहा जाता है कि श्री प्रकाश शुक्ला ने साक्षी महराज को मारने की सुपारी ली थी. जब श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर हुआ उस समय वो वर्तमान सांसद और भाजपा नेता साक्षी महराज को मारने के लिए कैंप कर रहा था. उसने साक्षी महराज को मारने का पूरा प्लान भी बना लिया था, बस प्लान में मौसम आड़े हाथ आ रहा था. क्योंकि उस समय ठंड इतनी नहीं पड़ रही थी कि वो कंबल में छिपाकर AK-47 ले जाया जा सके. इस वजह से वो कुछ दिन और इंतजार कर रहा था.' अधिकारी ने आगे ये बताया कि,' श्रीप्रकाश शुक्ला के पास AK-47 बिहार के सुरजभान ने पहुंचाई थी. बिहार के मोकामा में उन दिनों एक डॉन सूरजभान का बोलबाला था. श्रीप्रकाश ने उसे अपना गॉडफादर बनाया और धीरे-धीरे जुर्म का एम्पायर बनाने लगा.'
इस गलती से हुआ माफिया का खात्मा
IPS अधिकारी ने बताया कि, ' 1998 में भारत में तब सेलफोन नए नए आए थे और फोन का इस्तेमाल करने वाले मुजरिम इस बात से अनजान थे कि इसे ट्रैक भी किया जा सकता है. यही बात श्रीप्रकाश शुक्ला की गिरफ्तारी का कारण भी बनी. पुलिस ने उसका फोन ट्रैक करना शुरू किया. सिंतबर 1988 में श्रीप्रकाश शुक्ला गाजियाबाद में अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए निकला और रास्ते में हमारी टीम उसके लिए जाल बिछाकर बैठी थी. हमसे सामना होने पर शुक्ला और उसके साथियों ने पहला फायर किया और एक के बाद एक 14 राउंड फायर किए. बदले में पुलिस ने 45 गोलियां दागी और मिनटों के अंदर उसको और उसके साथियों को मार गिराया गया.'
एनकाउंटर से पहले गालियां दे रहा था श्रीप्रकाश
वहीं राजेश पांडे ने आगे बताया कि, 'एनकाउंटर से पहले श्रीप्रकाश शुक्ला ने उन्हें फोन किया था. फोन कर उसने कहा था कि मैं श्रीप्रकाश शुक्ला ने बोल रहा हूं और उसके बाद धमकी और गालियां देने लगा. उसकी गालियां सुनने के बाद मैंने भी उसे गालियां सुनानी शुरु कर दी. उधर से श्रीप्रकाश ने 19 गालियां दी तो मैंने 20 गालियां दी. हालाँकि फोन रखने से पहले उसने मेरे पूरे परिवार को धमकी दी. इस कॉल के बाद मेरा पूरा परिवार डर गया था.'
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