रामपुर पुलिस के बाद अब चित्रकूट पुलिस के एनकाउंटर पर भी सवाल खड़े हो गए हैं. चित्रकूट में गौरी गैंग का डकैत बताकर मुठभेड़ में मारे गए भालचंद यादव एनकाउंटर केस में जिले के तत्कालीन एसपी समेत 14 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हुआ है. 31 मार्च 2021 को चित्रकूट के तत्कालीन एसपी अंकित मित्तल ने जिले की स्वाट टीम और एसटीएफ के साथ मिलकर भालचंद यादव को एनकाउंटर में मार गिराया था.
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पुलिस ने दावा किया था कि भालचंद्र यादव गौरी गैंग का सदस्य था, लेकिन अब एसटीएफ और चित्रकूट पुलिस के इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े होने लगे हैं. कोर्ट के आदेश पर चित्रकूट के बहिलपुरवा थाने में तत्कालीन एसपी चित्रकूट अंकित मित्तल, यूपी एसटीएफ की 5 सदस्य टीम, स्वाट टीम के 5 सदस्य और तत्कालीन इंस्पेक्टर बहिलपुरवा दीन दयाल सिंह और मारकुंडी की थानेदार रमेश चंद्र पर भालचंद यादव का अपहरण कर डकैती के दौरान हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है.
बहिलपुरवा थाने में दर्ज हुआ हुई एफआईआर के अनुसार, बीते 31 मार्च 2021 को भालचंद यादव अपने भाई लालचंद के साथ बाइक MP 19 MU 9643 से सतना कोर्ट पेशी पर गया था. वहीं से लौटते समय सतना के कोठी इलाके में सफेद रंग की स्कॉर्पियो नंबर UP 70 AG 2459 से आए पुलिस कर्मियों ने भालचंद यादव और लालचंद का अपहरण कर लिया और पुलिस टीम का एक युवक बाइक लेकर चित्रकूट आ गया.
यहां पर चित्रकूट पुलिस ने एसपी अंकित मित्तल की अगुवाई में शाम 7:00 बजे भालचंद यादव को एनकाउंटर में मार गिराया. दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोप लगाया गया कि एनकाउंटर के बाद शव का पोस्टमॉर्टम हुआ. उसके बाद भी एसटीएफ जबरन अंतिम संस्कार कराने की कोशिश में लग गई थी. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के दखल के बाद लाश परिवार के हवाले की गई और 2 अप्रैल को अंतिम संस्कार किया गया.
एफआईआर में आरोप लगाया गया कि भालचंद यादव के शरीर पर लाठी-डंडे से पीटे जाने के अनगिनत निशान थे, दाहिना हाथ टूटा था, हाथ के नाखून निकले थे, शर्ट पर गोली नहीं लगी थी यानी बालचंद यादव को नंगे बदन गोली मारी गई. वहीं पुलिस ने एनकाउंटर के अगले दिन 1 अप्रैल को भाई लालचंद यादव को अवैध तमंचे के आरोप में जेल भेज दिया.
फिलहाल कोर्ट के आदेश पर चित्रकूट के बहिलपुरवा थाने में भालचंद यादव का एनकाउंटर करने वाले पुलिस टीम पर अपहरण और डकैती के दौरान हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
बता दें कि इससे पहले रामपुर पुलिस के द्वारा भी एक शराब व्यापारी के एनकाउंटर पर सवाल खड़े हुए हैं. डीआईजी की जांच में एनकाउंटर फर्जी पाया गया और पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच रिपोर्ट में कार्रवाई की संस्तुति की गई है.
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