हरियाणा चुनाव में जारी रहा BSP का खराब प्रदर्शन तो मायावती ने गठबंधन को लेकर लिया सख्त फैसला

यूपी तक

11 Oct 2024 (अपडेटेड: 11 Oct 2024, 04:24 PM)

Mayawati decision on alliance politics: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के साथ गठबंधन के बावजूद बहुजन समाज पार्टी (BSP) को कोई सीट नहीं मिली. 90 सीटों में से 37 पर चुनाव लड़ने के बाद भी बसपा केवल अटेली सीट पर थोड़ा प्रभाव डाल पाई. अब मायावती ने गठबंधन की नई रणनीति की घोषणा की है.

Bahujan Samaj Party chief Mayawati. (File photo)

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Mayawati decision on alliance politics: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के साथ गठबंधन के बावजूद बहुजन समाज पार्टी (BSP) का प्रदर्शन खराब ही रहा. इस गठबंधन को किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली. हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में गठबंधन के तहत बसपा 37 सीटों पर लड़ी थी. पर एक अटेली सीट को छोड़ दें, तो कहीं भी बसपा अपने प्रदर्शन की छाप नहीं छोड़ पाई. बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहले तो अपनी हार का ठीकरा जाट वोटर्स पर फोड़ा और कहा कि जाट समाज के जातिवादी लोगों ने बीएसपी को वोट नहीं दिया. अब मायावती ने इस बार के बाद गठबंधन को लेकर बसपा की नई रणनीति का ऐलान कर दिया है. 

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इंडिया और एनडीए के साथ तो नहीं ही थी, अब आगे ये करेंगी मायावती

2024 के लोकसभा चुनाव में मायावती न तो बीजेपी के एनडीए गठबंधन के साथ थीं, न ही कांग्रेस के इंडिया गठबंधन के साथ. हालांकि उन्होंने हरियाणा चुनाव के लिए गठबंधन का फैसला जरूर ले लिया. अब हरियाणा में हार के बाद मायावती ने ऐलान कर दिया है कि बसपा आने वाले चुनावों में क्षेत्रीय दलों के साथ भी गठबंधन नहीं करेगी. मायावती का तर्क है कि बीएसपी का वोट तो गठबंधन की पार्टी को ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन दूसरे दलों के पास ये क्षमता नहीं कि वो बीएसपी को अपना वोट ट्रांसफर करा पाएं. मायावती अपनी सियासी हार की बड़ी वजह इसे ही मान रही हैं. आपको बता दें कि 2019 में जब यूपी में सपा और बसपा का महागठबंधन फेल हुआ, तो बसपा ने यही कहा कि सपा अपने वोट ट्रांसफर नहीं करा पाई. 

मायावती ने अपने इस नए सियासी फैसले को लेकर आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट किया है. 

मायावती ने लिखा, 'यूपी सहित दूसरे राज्यों के चुनाव में भी बीएसपी का वोट गठबंधन की पार्टी को ट्रांसफर हो जाने किन्तु उनका वोट बीएसपी को ट्रांसफर कराने की क्षमता उनमें नहीं होने के कारण अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं मिलने से पार्टी कैडर को निराशा व उससे होने वाले मूवमेन्ट की हानि को बचाना जरूरी. इसी संदर्भ में हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम व इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर आज हरियाणा व पंजाब की समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय पार्टियों से भी अब आगे गठबंधन नहीं करने का निर्णय, जबकि भाजपा/एनडीए व कांग्रेस/इण्डिया गठबंधन से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी.'

 

 

मायावती ने आगे लिखा, 'देश की एकमात्र प्रतिष्ठित अम्बेडकरवादी पार्टी बीएसपी व उसके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के कारवां को हर प्रकार से कमजोर करने की चौतरफा जातिवादी कोशिशें लगातार जारी हैं, जिस क्रम में अपना उद्धार स्वंय करने योग्य व शासक वर्ग बनने की प्रक्रिया पहले की तरह ही जारी रखनी जरूरी. बीएसपी विभिन्न पार्टियों/संगठनों व उनके स्वार्थी नेताओं को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि ’बहुजन समाज’ के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा व सहयोग के बल पर संगठित होकर राजनीतिक शक्ति बनाने व उनको शासक वर्ग बनाने का आन्दोलन है, जिसे अब इधर-उधर में ध्यान भटकाना अति-हानिकारक.'

 

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