क्या गोरखपुर नगर निगम में सब कुछ ठीक नहीं है? क्या गोरखपुर नगर निगम में पहले सब कुछ ठीक नहीं था? क्या गोरखपुर नगरनिगम में शक्तियों को लेकर अभी से खींचातनी शुरू हो गई है?
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दरअसल, नगर निगम के निवर्तमान मेयर और निवर्तमान पार्षदों के सीयूजी नंबर को बिना किसी पूर्व सूचना के बंद करने का मामला प्रकाश में आया है.
भाजपा से निवर्तमान मेयर सीताराम जायसवाल ने तो इसके लिए पूरी तरीके से अधिकारियों के मनमानी रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. साथ ही इस पूरे प्रकरण के लिए नगर आयुक्त को जिम्मेदार ठहराया है.
मिली जानकारी के अनुसार, नगर निगम बोर्ड का 5 वर्ष का कार्यकाल बीते गुरुवार को पूरा हो गया. इसके साथ ही गुरुवार शाम के बाद से महापौर और पार्षदों की संवैधानिक शक्तियां खत्म हो गई. तब से निगम की पूरी बागडोर अधिकारियों के हाथ हो गई.
गौरतलब है कि जनता का प्रतिनिधि प्रशासन एवं सरकार के बीच से हट गया है. हाउस का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही मेयर और पार्षद की कुर्सी खाली हो गई. उसके बाद नगर निगम अधिकारियों के हवाले हो गया. साथ ही नगर आयुक्त को पूरी जिम्मेदारी मिली है. अब नगर निगम में खींचतान की स्थिति बन गई है. निकाय चुनाव में अभी देरी है. अगले चुनाव में अभी कितना समय है, इस पर अभी कुछ स्थिति स्पष्ट नहीं है.
पांच साल के कार्यकाल में तीन बार बंद हो चुका है नंबर
निवर्तमान मेयर सीताराम जायसवाल कहते हैं कि यह मामला कोई पहली बार नहीं हुआ है. पूरे पांच साल के कार्यकाल में इसके पहले भी दो बार नंबर बंद हो चुका है. कार्यकाल को जब महज 2 साल ही बीता था, तभी एक बार टेंपरेरी रूप में नंबर बंद हुआ था. उसके बाद एक बार सिम की कंपनी बदलने की वजह से बंद हुआ था. यह तीसरी बार नंबर बंद हुआ है जो कि हमेशा के लिए बंद हो जाएगा. ठीक है. कार्यकाल खत्म हुआ तो नंबर भी बंद होना चाहिए, लेकिन कम से कम प्रशासन को सूचना तो देनी चाहिए.
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