कानपुर में बारिश के बाद जब आया टीम इंडिया का तूफान, बैजबॉल भी बेबस और बांग्लादेशी टाइगर्स के उड़े तोते

रजत कुमार

01 Oct 2024 (अपडेटेड: 01 Oct 2024, 05:02 PM)

Kanpur Test : कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में जैसे ही ऋषभ पंत ने तजुल इस्लाम की गेंद को बॉउंड्री के पार पहुंचा वैसे ही भारत ने टेस्ट क्रिकेट में एक नया चैप्टर शुरु कर दिया.

Kanpur Test

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Kanpur Test : कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में जैसे ही ऋषभ पंत ने तजुल इस्लाम की गेंद को बॉउंड्री के पार पहुंचाया वैसे ही भारत ने टेस्ट क्रिकेट में एक नया चैप्टर शुरु कर दिया. कानपुर टेस्ट में बारिश, पहले तीन दिन विलेन बनती है और मात्र 35 ओवर का खेल हो पाता है. चौथे दिन दर्शकों के साथ क्रिकेट पंडितों को भी लगता है कि ये मैच ड्रा की ओर बढ़ रहा है. ऐसा इसलिए भी था क्योंकि बांग्लादेशी टाइगर्स अभी-अभी पाकिस्तान को उसके घर में ही बुरी तरह मात देकर आए थे. पर रोहित शर्मा की टीम ने ये ठान लिया था कि इस मैच को तो जीतना ही है. वहीं चौथे दिन का तीसरा सेशन आते-आते सबको यकीन होने लगा कि टीम इंडिया ये मैच जीत कर ही दम लेगी. 

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बारिश और बांग्लादेशी टाइगर्स दोनों पड़े फीके

कानपुर टेस्ट मैच का पांचवा दिन भारतीय टीम के लिए और भी  शानदार रहा. जहां उन्होंने मात्र 7 विकेट से जीत हासिल कर सीरीज 2-0 से अपने नाम की. बांग्लादेश ने भारतीय टीम को जीत के लिए 95 रनों का लक्ष्य दिया था, जिसे भारत ने सिर्फ 3 विकेट खोकर पूरा कर लिया.  ऋषभ पंत ने विनिंग शॉट लगाकर मैच खत्म किया.   भारतीय गेंदबाजी और बल्लेबाजी के आगे बारिश का कहर और बांग्लादेशी टाइगर्स दोनों फीके पड़ गए.  दरअसल 2 मैचों की टेस्ट सीरीज का आखिरी मुकाबला 27 सितंबर से कानपुर में खेला गया.  इस मैच के शुरुआती 3 दिन बारिश से धुल गए थे. तीनों दिन 35 ओवरों का खेल हुआ था, जिसमें टॉस हारकर पहले बैटिंग करते हुए बांग्लादेश टीम ने 3 विकेट गंवाकर 107 रन बनाए थे. दूसरा दिन तो गीली आउटफील्ड के कारण नहीं हो सका था.

मगर मैच में चौथे दिन पूरा खेल हुआ, जिसमें भारतीय टीम ने धांसू गेंदबाजी और बल्लेबाजी करते हुए मैच पर पकड़ बनाई. भारतीय टीम के पास कानपुर टेस्ट जीतने के लिए आखिरी दो दिनों का ही समय था. इन्हीं दो दिनों में बांग्लादेश को 2 पारियों में समेटना था और खुद भी दमदार बल्लेबाजी करनी थी. भारतीय टीम ने यह काम बखूबी कर दिखाया और इतिहास रच दिया. भारतीय तूफान के आगे कानपुर टेस्ट में बांग्लादेश टीम चारों खाने चित नजर आई. यह मैच टीम इंडिया ने 7 विकेट से जीता, जबकि पहला मुकाबला 280 रनों से जीता था. इस तरह भारतीय टीम ने सीरीज में बांग्लादेश को 2-0 से क्लीन स्वीप किया. 

कानपुर में रिकॉर्ड्स की झड़ी

कानपुर टेस्ट के चौथे दिन भारत ने टी-20 तेवर के साथ बल्लेबाजी की, जिसने सभी दर्शकों को चौका दिया. यशस्वी जायसवाल ने 51 गेंदों में 72 रन की धमाकेदार पारी खेली, जिसमें 12 चौके और दो छक्के शामिल थे. भारत ने 50 रन का आंकड़ा सिर्फ तीसरे ओवर में ही पार कर लिया और इस प्रकार इंग्लैंड का सबसे तेज टीम अर्धशतक का रिकॉर्ड तोड़ा.  भारत ने सौ रन 11वें ओवर में पूरे करके अपना ही रिकॉर्ड बेहतर किया. भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 2023 में पोर्ट आफ स्पेन टेस्ट में सबसे तेजी से 12.2 ओवर में तिहरा अंक छुआ था. इसके बाद भारत ने सबसे तेज 200 रन का आस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड तोड़ा जो उसने पाकिस्तान के खिलाफ 2017 के सिडनी टेस्ट में बनाया था. भारत ने 24.2 ओवर में ही 200 रन बना डाले. 

कोई नहीं दे पा रहा टक्कर

कुल मिलाकर, भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सीरीज अपने नाम की. घर में लगातार 18वीं टेस्ट सीरीज जीतने का भारत का रिकॉर्ड भी बरकरार रहा, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. भारत ने साल 2013 के फरवरी से लेकर अब तक घरेलू मैदान पर लगातार 18 टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास रच दिया है. टीम इंडिया ने अपना आखिरी टेस्ट सीरीज इंग्लैंड के खिलाफ महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में साल 2012-2013 में 1-2 से गंवाया था.

मैच बचाने वाली टीम से मैच जीताने वाली टीम तक

इग्लैंड ने भले ही दुनिया को क्रिकेट से रूबरू कराया हो पर भारत ने इसे एक अलग ही मुकाम पर पहुंचा है. 1932 में भारत ने पहली बार टेस्ट क्रिकेट खेला और यहीं से भारतीय क्रिकेट का सफर शुरू हुआ. इस सफर में टीम इंडिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे.  हमें पहली टेस्ट जीत का स्वाद 20 साल के लम्बे इंतजार के बाद 1952 में मिला, जब हमने इंग्लैंड को हराकर अपनी पहली टेस्ट जीत दर्ज की. 

शुरुआती दिनों में भारतीय टीम की पहचान एक ऐसी टीम के रूप में थी जो मैच बचाने के लिए खेलती थी. विदेशी धरती पर कमजोर प्रदर्शन के कारण टीम पर "घर के शेर, विदेशों में ढ़ेर" का टैग लग गया. लेकिन भारतीय क्रिकेटरों की मेहनत और दृढ़ संकल्प ने समय के साथ इस धारणा को पूरी तरह से बदल दिया.  आज भारतीय टीम की पहचान एक ऐसी टीम के रूप में होती है जो दुनिया के किसी भी कोने में जाकर जीत हासिल कर सकती है. चाहे वह इंग्लैंड हो, ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका, टीम इंडिया ने हर जगह अपने खेल का लोहा मनवाया है. 

साल 2000 में जब टीम इंडिया के पर मैच फिक्सिंग के आरोप लग रहे थे उसी दौर में ही भारतीय टीम का बदलाव का दौर भी शुरू हुआ.  भारत को मैच बचाने वाली टीम से मैच जीतने वाली टीम में ट्रांसफॉर्म करने की शुरुआत भी इसी साल से हुई. गांगुली ने भारत को 21 मैचों में जीत दिलाई. गांगुली, द्रविड़ और कुंबले के बाद टीम की कमान महेन्द्र सिंह धौनी ने संभाली. धोनी के बाद विराट और अब रोहित शर्मा  ने टीम को वर्ल्ड क्रिकेट में अजेय बना दिया है. 
 

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