वाराणसी से उठा साईं प्रतिमा विवाद अब पहुंचा लखनऊ, हिन्दू महसभा ने कर दिया ये बड़ा एलान

आशीष श्रीवास्तव

02 Oct 2024 (अपडेटेड: 02 Oct 2024, 01:15 PM)

Lucknow News : वाराणसी के मंदिरों से साईं प्रतिमा हटाने का विवाद अब राजधानी लखनऊ तक पहुंच गया है.

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Lucknow News : वाराणसी के मंदिरों से साईं प्रतिमा हटाने का विवाद अब राजधानी लखनऊ तक पहुंच गया है. सोमवार को वाराणसी में जहां केंद्रीय ब्राह्मण महासभा ने बड़ा गणेश समेत कई मंदिरों से साईं प्रतिमा को हटाया तो वहीं अब लखनऊ में अखिल भारतीय हिंदू महासभा ऐसा ही करने जा रहा है. 

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लखनऊ के मंदिरों से हटाई जाएंगी साईं प्रतिमा!

अखिल भारतीय  हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी  ने बताया कि, संगठन ने लखनऊ के मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने का निर्णय लिया है.  जिन लोगों को साईं बाबा की पूजा करनी है वो अपने घरों में करें. सनातन धर्म के मंदिरों में साईं बाबा को हिन्दू देवी-देवताओं के साथ जगह नहीं मिलेगी. इस कदम के तहत बुधवार को लखनऊ के कैसरबाग़ स्थित एक मंदिर से साईं बाबा की मूर्ति हटाई जाएगी.  लखनऊ के कई अन्य मंदिरों में भी पुजारियों ने संगठन के निर्णय को समर्थन देने की बात कही और मूर्तियों को हटाने की प्रक्रिया के लिए सहमति व्यक्त की है.  उनका मानना है कि साईं बाबा की मूर्तियाँ एक विवादास्पद मुद्दा बन गई हैं और ऐसे में उन्हें हटाना सही कदम रहेगा. 

हिन्दू महासभा का एलान

वहीं बुधवार को हिंदू संगठन के सदस्य कैसरबाग के मंदिर पहुंचे और वहाँ साईं बाबा की मूर्ति को हटाने का प्रयास किया.  हालांकि, लॉ एंड ऑर्डर को ध्यान में रखते हुए मौके पर पुलिस बल तैनात है. पुलिस ने संगठन के सदस्यों को रोका, इसके बावजूद, संगठन के सदस्यों ने मूर्ति हटाने की अपनी बात पर जोर दिया और कहा कि वे अपने निर्णय को अमल में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. शिशिर चतुर्वेदी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यह निर्णय धर्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और इसे सम्पूर्ण राष्ट्र में लागू करने की दिशा में संगठन प्रयास करेगा.

वाराणसी से हुई है शुरुआत

बता दें कि  हिंदू संगठन मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने की मांग कर रहे हैं और इस पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है. केंद्रीय ब्राह्मण सभा और सनातन रक्षक दल नाम के संगठन इस मुहीम में शामिल हैं. इस मुहीम की शुरुआत वाराणसी के बड़ा गणेश मंदिर से है. संगठन के सदस्यों का कहना है कि साईं बाबा की प्रतिमा को इस तर्क के आधार पर हटाया गया कि वह चांद बाबा हैं, जो एक फकीर थे और सनातन धर्म में उनकी पूजा नहीं की जा सकती. हिंदू संगठनों का यह भी कहना है कि यदि किसी की आस्था साईं बाबा में है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन साईं बाबा की मूर्तियां बाकी देवी-देवताओं के मंदिरों में नहीं रहने देंगे. 

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