लखनऊ में आगामी नगर निकाय चुनाव में नए सिरे से आरक्षण की तैयारी है. बताया जा रहा है कि ऐसा होने पर पिछली बार के मुकाबले इस बार जातिगत आरक्षण के आधार पर सीटें बदल जाएंगी. वर्ष 2017 में 653 सीटों पर चुनाव हुआ था. अब नए सिरे से आरक्षण का ऐलान होने की संभावना है. इससे नगर निगम, नगर पालिका और नगर पालिकाओं के वार्डों में आरक्षण का समीकरण पूरी तरह बदल जाएगा. जिससे इसका असर प्रत्याशियों की दावेदारी पर पड़ेगा. सूत्रों की मानें तो अगले महीने से नए सिरे से आरक्षण का काम शुरू हो सकता है.
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सामान्य श्रेणी, पिछड़े, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सीटों के आरक्षण को लेकर सभी दलों और दावेदारों की गणित भी बिगड़ सकता है. महिलाओं के आरक्षण से भी तमाम प्रत्याशी चुनावी रेस से बाहर हो सकते हैं. ऐसे में उस सीट के समीकरण बदल सकते हैं.
नए सिरे आरक्षण की चर्चा तेज
निकाय चुनाव में सीटों पर नए सिरे से आरक्षण आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर चर्चा तेज है. अभी तक 762 निकाय बन चुके हैं. पिछली बार की अपेक्षा इस बार वार्डों की संख्या भी 20 हजार से अधिक होगी. वार्डों के आरक्षण से पहले अधिकतर निकायों में रैपिड सर्वे का काम कराया जा रहा है.
प्रचार करने वाले प्रत्याशियों को लगेगा झटका
जिन पुरुष दावेदारों ने अपनी सीट के लिए प्रचार शुरू कर दिया था, उन्हें आरक्षण में सीट एससी-एसटी, ओबीसी या महिला सीट होने से झटका लग सकता है. वहीं बीजेपी ने इस बार आरक्षण से बदली महिला सीट पर उसी परिवार के किसी और सदस्य को टिकट ना देने की बात कही है. पार्टी इस बार के निकाय चुनाव में हर वार्ड में अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी में भी है जो सीधे तौर पर चुनाव को और संजीदा बना रहा है.
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