कब्रिस्तान नहीं पांडवों का लाक्षागृह है, 53 साल बाद आए कोर्ट के फैसले में हिंदू पक्ष की बड़ी जीत

दुष्यंत त्यागी

05 Feb 2024 (अपडेटेड: 05 Feb 2024, 06:26 PM)

बागपत के लाक्षागृह और कब्रिस्तान के विवाद पर कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने हिंदू पक्ष के समर्थन में फैसला दिया है.

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Baghpat: बागपत के लाक्षागृह और कब्रिस्तान के विवाद पर कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने हिंदू पक्ष के समर्थन में फैसला दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने 108 बीघा जमीन भी हिंदू पक्ष को दे दी है. कोर्ट ने कहा है कि ये जगह कब्रिस्तान नहीं है. बल्कि ये जगह महाभारत कालीन लाक्षागृह है. कोर्ट ने माना है कि विवादित जमीन पर कब्रिस्तान नहीं है. वह लाक्षागृह ही है. बता दें कि लाक्षागृह का वर्णन महाभारत में आता है. महाभारत के मुताबिक, ये महल पांडवो को जिंदा जलाने के लिए बनवाया गया था. कोर्ट के इस फैसले के साथ 53 साल पुराना केस खत्म हो गया है.

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1970 से चला आ रहा था विवाद

 

मिली जानकारी के मुताबिक, जिस जमीन को लेकर विवाद था, उसे हिंदू लाक्षागृह कहते थे तो वही मुसलमान मजार या कब्रिस्तान की जमीन कहते थे. साल 1970 के करीब मुकीम खान नामक शख्स ने इसको लेकर सिविल कोर्ट में केस दर्ज करवाया था. मुकीम खान का कहना था कि ये जगह मुसलमानों की है. तभी से ये केस कोर्ट में चला आ रहा था. हिंदू पक्ष का कहना था कि ये जमीन महाभारत लाक्षागृह है. इसी को लेकर ये मामला कोर्ट में चल रहा था, जिसका फैसला अब सामने आया है.


हिंदू पक्ष के वकील ने ये बताया

 

इस पूरे मामले पर हिंदू पक्ष के वकील रणवीर सिंह तोमर ने बताया, कोर्ट ने सबूतों के बाद यह पाया है कि यह कब्रिस्तान नहीं है. दरअसल यहां 108 बीघा जमीन पर ऊंचा टिला है. यहां पांडव आए थे. उनको यहीं जलाकर मारने की कोशिश की गई थी.  राजस्व न्यायालय में भी यह जमीन लाखामंडप दर्ज नाम से दर्ज है. ये जगह प्राचीन समय से ही हिंदुओं के लिए तीर्थ स्थल रही है.

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