UP News: संभल के चंदौसी में खुदाई के दौरान प्राचीन बावड़ी मिली है. बावड़ी में 2 कुंए और सीढ़ियां भी मिली हैं. बताया जा रहा है कि ये बावड़ी 250 फीट गहरी है. इसपर अतिक्रमण कर लिया गया था और इसे दबा दिया गया था. बताया जा रहा है कि ये बावड़ी रानी सुरेंद्र बाला की है. वह यहां रहा करती थीं.
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दरअसल चंदौसी के जिस मुस्लिम इलाके में बावड़ी मिली है, वह 1857 में हिंदू इलाका हुआ करता था. मगर फिर से मुस्लिम बाहुल्य हो गया. अब हमने रानी सुरेंद्र बाला की पोती शिप्रा बाला से बात की है. उन्होंने इस बावड़ी को लेकर कई चौंकाने वाली बात बताई है. उनका कहना है कि ये बावड़ी उनके परिवार की संपत्ति है. अगर सरकार ये उन्हें देती है, तो ये बड़े सौभाग्य की बात है.
क्या बोलीं रानी सुरेंद्र बाला की पोती?
शिप्रा बाला रानी सुरेंद्र बाला की सबसे छोटी पोती हैं. पहले राजा का सहसपुर में उनका बंगला था. आज जो बावड़ी मिली है, वह भी गेस्ट हाउस की तरह था. मगर यहां खुद रानी रहती थीं. रानी की पोती शिप्रा के मुताबिक, पहले बावड़ी के आस-पास खेत थे. ये सभी खेत उनके परिवार के थे. रात को ठहरने के लिए बावड़ी काम आती थी. खुद रानी भी इसी कोठी में रहती थीं.
रानी की पोती शिप्रा ने कहा, उनके पिता ने ये संपत्ति बेची थी. जिस शख्स को संपत्ति बेची गई, उसने फिर ये संपत्ति अन्य लोगों को बेची. पहले यहां सारे हिंदू रहते थे. रानी की पोती ने कहा कि अगर ये संपत्ति उनके परिवार को वापस मिलती है तो हम सभी लोग इसकी देखभाल करेंगे.
2 मंजिला इमारत मिली
बता दें कि जैसे ही प्रशासन की टीम ने महोल्ला बाबरी बस्ती के बीच में बुलडोजर से खुदाई करनी शुरू कर दी तो देखते ही देखते वहां प्राचीन इमारत दिखनी शुरू हो गई. अभी तक खुदाई में 2 मंजिला इमारत दिखाई दी है. बता दें कि पुराने दस्तावेजों में कुआ और तालाब भी दर्ज है. माना जा रहा है कि ये वावड़ी 250 फीट गहरी हो सकती है. खुदाई के दौरान अभी तक बावड़ी के 8 कमरे, दो कुएं और 2 सीढ़िया मिली हैं. बता दें कि खुदाई के दौरान एक सुरंग भी मिली है.
दरअसल ऐसी किंवदंतियां हैं कि संभल में कई ऐतिहासिक सुरंग हैं, जो दिल्ली समेत भारत के कई पुराने शहरों और किलों तक जाती हैं. फिलहाल ये सुरंग कहां तक जाती है, ये पता नहीं है. खुदाई चल रही है.
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