समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान (Azam Khan) को एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. भड़काऊ भाषण मामले में रामपुर की MLA/ MP कोर्ट ने गुरुवार को आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई है. कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद अब आजम खान की विधायकी भी खतरे में आ गई है. दो साल से ज्यादा की सजा होने पर आजम खान को विधानसभा की सदस्यता भी छोड़नी पड़ेगी.
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फिलहाल आजम खान को जेल जाना पड़ा सकता है. हालांकि खुद को इंसाफ का कायल बताते हुए आजम खान ने उच्च अदालत में अपील की बात दोहराई. फिलहाल जमानत के लिए उन्हें अर्जी दाखिल करनी होगी, साथ ही सजा को चुनौती देने वाली अर्जी भी सेशन कोर्ट में दाखिल करनी होगी. अगर निचली अदालत ने अर्जी खारिज कर दी तो हाईकोर्ट जाना होगा.
बता दें कि जन प्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक दो साल या इससे अधिक की सजा सुनाए जाने के बाद जन प्रतिनिधि को सदस्यता के अयोग्य घोषित किया जाता है. सजा के छह साल बाद तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी भी लग जाती है. बता दें कि सन 2002 में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में किए गए संशोधन के मुताबिक सजा की अवधि पूरी होने के बाद छह साल तक चुनाव लड़ने की पाबंदी लागू हुई.
जनप्रतिनिधित्व कानून में 2002 से पहले यह प्रावधान था कि सजायाफ्ता व्यक्ति सजा सुनाए जाने के दिन से छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दिया जाता था. लेकिन उसमें संशोधन किया गया. इसके मुताबिक कानून में यह प्रावधान किया गया कि सजा पूरी करने के बाद भी छह वर्ष तक वह व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेगा.
किसी अपराध में केवल जुर्माना सुनाए जाने की स्थिति में भी वह व्यक्ति छह वर्ष के लिए चुनाव नही लड़ पाएगा. 2002 में हुए संशोधन के पहले कानून के तहत यदि किसी व्यक्ति को दस वर्ष की सजा होती तो वह छह वर्ष के बाद जेल से भी चुनाव लड़ सकता था. इसी खामी को दूर करने के उद्देश्य से कानून में संशोधन किया गया. यह प्रावधान भ्रष्टाचार निरोधक कानून, आतंकवाद निरोधक कानून और सती निरोधक कानून के तहत सजायाफ्ता व्यक्तियों पर भी लागू किया गया.
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