गाजियाबाद (Ghaziabad news) के साहिबाबाद इलाके की रहने वाली एक 40 वर्षीय महिला को टीवी का संक्रमण था. जिसकी जांच में महिला को एचआईवी की भी पुष्टि हुई थी. एचआईवी की पुष्टि होने पर बीते बुधवार को महिला मरीज को गाजियाबाद के जिला अस्पताल स्थित एआरटी सेंटर पर बुलाया गया था. परिजनों का आरोप है कि एंबुलेंस न मिलने पर मरीज को ठेले पर ले जाना पड़ा और अस्पताल में उन्हें स्ट्रक्चर की भी व्यवस्था नहीं मिल पाई.
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दरअसल, मरीज के तीमारदार उसे ठेले पर लेकर अस्पताल परिसर में भटकते दिखे थे. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. सोशल मीडिया के जरिये यह मामला स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया. जिसके बाद महिला को स्ट्रेचर और एम्बुलेंस का इंतजाम कराया गया.
हालांकि, तब तक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के कारण लोग जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े करने लगे थे. इस वीडियो का संज्ञान सूबे के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने लिया था और ट्वीट पर जांच कर कार्यवाही की बात कही थी.
गाजियाबाद स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, गाजियाबाद सीएमओ भवतोष शंखधर ने तीन डॉक्टरों के पैनल को मामले की जांच सौपी थी. डॉ. एके दीक्षित, डॉ. संतराम वर्मा और डॉ. पंकज शर्मा की एक समिति बनाकर पूरे मामले की जांच कराई गई.
इस जांच में जिला अस्पताल में संविदा पर काम कर रहे एक डॉक्टर शील वर्मा और एक वार्ड बॉय मयंक को जांच में दोषी माना गया. जिसपर सीएमओ ने डॉ. शील वर्मा के खिलाफ शासन को सेवा समाप्त करने की संस्तुति भेज दी. वहीं उन्होंने वार्ड बॉय पर खुद एक्शन लिया और उसकी सेवा समाप्त कर दी गई.
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