वाराणसी के चर्चित ज्ञानवापी मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के पास एक और याचिका आई है. ये याचिका बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है. उनका आग्रह है कि वो भी अपनी दलील सुप्रीम कोर्ट के सामने रखना चाहते हैं, लिहाजा कोर्ट उनको भी अवसर दे.
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अपनी याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने कहा है, “ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी की उपासना-पूजा का मामला सीधे तौर पर धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है. उस अविमुक्त क्षेत्र में अनादि काल से भगवान आदि विशेश्वर की पूजा होती रही है. ये क्षेत्र और यहां की समस्त सम्पत्ति हमेशा से उनकी ही रही है.”
याचिका के मुताबिक, “एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद मंदिर को ध्वस्त करने और यहां तक कि नमाज पढ़ने से भी मंदिर का धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता. प्राण प्रतिष्ठा के बाद देवता का उस प्रतिमा से अलगाव तभी होता है, जब विसर्जन की प्रकिया के बाद मूर्तियों को वहां से शिफ्ट न किया जाए. जबकि इस्लाम के उसूलों के मुताबिक मन्दिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद को अल्लाह का घर नहीं माना जा सकता, वहां अदा की गई नमाज खुदा को कबूल नहीं है.”
याचिका के अनुसार, “उधर, उपासना स्थल कानून 1991 भी किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप और प्रकृति को निर्धारित करने से नहीं रोकता. लिहाजा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी (वाराणसी) की याचिका पर आज यानी सोमवार को सुनवाई की जरूरत नहीं है. इस याचिका को खारिज किया जाए.”
ज्ञानवापी सर्वे को कैमरे में कैद करने वाले फोटोग्राफर ने कहा- मैंने देखा कि…
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