वाराणसी में ज्ञानवापी (Gyanvapi Controversy) स्थित गौरी शृंगार गौरी (Shringar Gauri Case) के नियमित दर्शन और अन्य देव विग्रहों को संरक्षित करने के लिए दाखिल वाद पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में गर्मी की छुट्टियों के बाद सोमवार से फिर सुनवाई शुरू होगी. बता दें कि 17 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं की ओर से श्रृंगार गौरी में दर्शन पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर डाली गई याचिका पर सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर ने एडवोकेट कमीशन की कार्यवाही कराई थी.
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इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने वादी पक्ष के मुकदमे की योग्यता पर सवाल उठाने वाली प्रतिवादी पक्ष की दाखिल अर्जी पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का जिला जज को आदेश दिया था. बता दें कि जिला जज की अदालत में 23 मई से सुनवाई चल रही है. जिला जज सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत इस बात की सुनवाई पहले कर रहे हैं कि मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं.
सनद रहे कि वाद के 52 में से 39 बिंदुओं पर मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव (Abhay Nath Yadav) जिला जज की अदालत में बीती तारीखों में अपनी दलील दे चुके हैं. अब आगे के बिंदुओं पर मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ यादव फिर से अपनी दलील जारी रखेंगे.
इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन (Vishnu Shankar Jain) ने यूपी तक से खास बातचीत में कहा, “
“एक बार ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की मेरिट पर सुनवाई हो जाए फिर हम इस मामले में ASI को लाने के लिए भी आगे बढ़ेंगे. जो लोग 91 एक्ट का हवाला दे रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि अगर वहां शिवलिंग मिला है, जो कि सालों पुराना है तो वहां 91 एक्ट लागू नहीं होता. हम यह बात कोर्ट में रखेंगे.”
विष्णु शंकर जैन
उन्होंने आगे बताया, “इस मामले में अब तक मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए आपत्ति में दर्शाए गए 52 में से 39 बिंदुओं पर अपनी दलील पेश कर चुके हैं. उनकी दलील आज भी जारी रहेगी और कल तक चल सकती है, जिसके बाद हिंदू पक्ष अपनी दलील रखना शुरू करेगा.”
जज को मिला था धमकी भरा पत्र
उल्लेखनीय है कि जज दिवाकर ने अप्रैल, 2022 में पांच महिलाओं द्वारा दायर याचिकाओं पर ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इन महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पीछे एक हिंदू मंदिर में पूजा करने की अनुमति मांगी थी. 16 मई को दिवाकर की अदालत में हिंदू पक्ष द्वारा दावा किया गया था कि अधिवक्ता आयुक्त को सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर ‘शिवलिंग’ मिला है.
इस पर जज दिवाकर ने संबंधित क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया था. इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण जारी रखे जाने का आदेश देते हुए उन्होंने अपने आदेश में अपनी सुरक्षा के संबंध में चिंता व्यक्त की थी. रजिस्टर्ड डाक से धमकी भरा एक पत्र मिलने के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र भी लिखा था.
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