शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए एक घंटे का ही समय, जानें अभिजीत मुहूर्त के बारे में

रोशन जायसवाल

13 Oct 2023 (अपडेटेड: 13 Oct 2023, 11:09 AM)

Shardiya Navratri 2023 : महाशक्ति के उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र इस बार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा अर्थात, 15 अक्टूबर से प्रारम्भ हो रहा है, जो…

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Shardiya Navratri 2023 : महाशक्ति के उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र इस बार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा अर्थात, 15 अक्टूबर से प्रारम्भ हो रहा है, जो 23 अक्टूबर, महानवमी तक चलेगा. इस बार नवरात्र सम्पूर्ण नौ दिन का है. 23 अक्टूबर को नवमी का होम आदि और चंडा देवी की पूजा तथा बलिदान आदि करना चाहिए. वहीं, इस बार 23 अक्टूबर को ही विजयादशमी भी होगी. नवरात्र व्रत की पारन उदयाकालिक दशमी में अर्थात, 24 अक्टूबर को प्रात: में होगा. 24 अक्टूबर को ही देवी की पूजन प्रतिमाओं का विसर्जन भी होगा.

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हाथी पर हो रहा आगमन

माता का आगमन और गमन: ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्वेदी ने बताया कि इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है. जिसका फल, सुवृष्टि या अधिक वर्षा है. तो वहीं गमन मुर्गा पर हो रहा है, जिसका फल आम जनमानस में व्याकुलता, व्यग्रता आदि है. सब मिलाकर माता के आगमन का फल शुभ तथा गमन अशुभ है.

कलश स्थापना का समय

पंडित ऋषि द्वेदी ने आगे बताया कि शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा, 15 अक्टूबर को कलश स्थापना प्रात: काल नहीं किया जा सकेगा. धर्मशास्त्र में चित्रा तथा वैधृति काल में कलश स्थापन का निषेध बताया गया है. सम्पूर्ण चित्रा तथा वैधृति होने पर मध्याह्न में अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापन करना चाहिए. अत: इस वर्ष 15 अक्टूबर को कलश स्थापन के लिए अभिजीत मुहूर्त दिन में 11:38 मिनट से 12:38 मिनट तक किया जायेगा. महानिशा पूजन 21 अक्टूबर को निशिथकाल में बलि इत्यादि किया जायेगा. तो महाष्टमी व्रत 22 अक्टूबर को, महाअष्टमी व्रत की पारन 23 अक्टूबर को प्रात: किया जायेगा. सम्पूर्ण नवरात्र व्रत की पारन 24 अक्टूबर को प्रात: किया जायेगा.

नवरात्र पूजन का संकल्प

पं. ऋषि द्वेदी ने बताया कि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को तैलाभ्यांग, स्नानादि कर मन में संकल्प लेना चाहिए. संकल्प में ‘तिथि, वार, नक्षत्र, गोत्र, नाम इत्यादि लेकर माता दुर्गा के प्रसन्नार्थ, पित्यर्थ, प्रसादस्वरूप, दीर्घायु, विपुलधन, पुत्र-पौत्र, स्थिर लक्ष्मी, कीर्ति लाभ, शत्रु पराजय, सभी तरह के सिद्धर्थ, शारदीय नवरात्र में कलश स्थापन, दुर्गा पूजा, कुंवारी पूजन करेंगे या करूंगी.” इस प्रकार संकल्प करना चाहिए। इसके उपरांत गणपति पूजन, स्वस्तिवाचन, नांदीश्राद्ध, मातृका पूजन इत्यादि करना चाहिए। तदुपरांत मां दुर्गा का पूजन षोडशोपचार या पंचोपचार करना चाहिए.

सूर्य ग्रहण के बाद नवरात्रि की शुरूआत होने के सवाल पर पंडित ऋषि द्वेदी ने बताया कि धर्म शास्त्र के अनुसार ग्रहण जहां दिखता है, वहीं उसका प्रभाव रहता है. 14 अक्टूबर का ग्रहण भारत में दृश्य नहीं हैं.

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