दिल्ली में सोमवार को 128 विभूतियों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों बांटे गए पद्म सम्मानों में अगर सबसे ज्यादा किसी की चर्चा रही है, तो वह हैं वाराणसी के 125 वर्ष के स्वामी शिवानंद. आपको बता दें कि स्वामी शिवानंद को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है.
ADVERTISEMENT
यह स्वामी शिवानंद की सादगी ही थी कि वह अवॉर्ड लेने के लिए नंगे पांव गए थे. अवॉर्ड लेने से पहले वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने घुटने के बल बैठ गए, फिर क्या था पीएम भी अपनी कुर्सी छोड़कर उनके सम्मान में झुक गए. इसके बाद स्वामी शिवानंद राष्ट्रपति के सामने भी झुके, तो राष्ट्रपति ने भी उन्हें झुककर उठाया.
स्वामी शिवानंद की इस सादगी के अलावा आखिर उनके स्वस्थ और निरोगी काया के पीछे क्या राज है? यह उन्होंने कुछ समय पहले ही यूपी तक से उस वक्त साझा किया था, जब हम उनके आश्रम पहुंचे थे. आईए स्वामी शिवानंद के बारे में कुछ अहम जानकारियां जानते हैं.
योग में कठीन से कठिन आसन और शिवभक्ती में लीन रहने वाले वाराणसी के स्वामी शिवानंद अभी भी पुरी तरह से फिट हैं. स्वामी शिवानंद सुबह 3-4 बजे ही बिस्तर छोड़ देते हैं, फिर रोज की तरह स्नान करके ध्यान और एक घंटा योग करते हैं. स्वामी शिवानंद सादा खाना यानि उबला आलू, सादी दाल का सेवन करते हैं और उन्हें तीखा और ऑयली खाना पसंद नहीं है. स्वामी की मानें तो वह 6 साल की ही महज छोटी सी उम्र से ही इस तरह की दिनचर्या का पालन अपने गुरु के आशीर्वाद से कर रहे हैं.
स्वामी शिवानंद के मुताबिक, ईश्वर की कृपा से उनको कोई डिजायर और तनाव नहीं है, क्योंकि इच्छा ही सभी दिक्कत की वजह होती है. उनके स्वस्थ और लंबे जीवन की भी यही वजह है. स्वामी शिवानंद के अनुसार, वह कभी स्कूल नहीं गए और इंग्लिश भी काफी अच्छी बोल लेते हैं. स्वामी शिवानंद की अब यही इच्छा है कि वह पीड़ितों की मदद करें.
स्वामी शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को श्रीहट्ट जिले के हबिगंज महकुमा, ग्राम हरिपुर के थाना क्षेत्र बाहुबल में एक ब्राह्मण गोस्वामी परिवार में हुआ था. मौजूदा समय में ये जगह बांग्लादेश में स्थित है.
स्वामी शिवानंद ने बताया कि उनके मां-बाप भिखारी थे और दरवाजे-दरवाजे भीख मांगकर अपनी जीविका चलाते थे. 4 साल की उम्र में उनके माता-पिता ने उनकी बेहतरी के लिए उन्हें नवद्वीप निवासी स्वामी श्री ओंकारनंद गोस्वामी के हाथ समर्पित कर दिया था. मिली जानकारी के अनुसार, जब शिवानंद 6 साल के थे, तो उनके माता-पिता और बहन का भूख के चलते निधन हो गया था.
इसके बाद उन्होंने अपने गुरु के सानिध्य में आध्यात्म की शिक्षा लेना शुरू की. स्वामी शिवानंद ने बताया कि उन्होंने महज 6 साल की उम्र में पवित्र जीवन जीने की ठानी और आजतक उसका पालन कर रहे हैं.
वाराणसी: MLC चुनाव में मुकाबला दिलचस्प! BJP ने भी बृजेश सिंह के खिलाफ उतारा प्रत्याशी
ADVERTISEMENT