Gyanvapi News: उत्तर प्रदेश की वाराणसी जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया. बता दें कि इस मामले में वादी शैलेंद्र पाठक की तरफ से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी और दीपक सिंह ने कोर्ट में दलील दी थी. उन्होंने अपनी दलील में दो मांगें की, जिनमें एक को स्वीकार कर लिया गया है. बता दें कि व्यास जी के तहखाने को डीएम कि सुपुर्दगी में दिए जाने का अनुरोध अदालत ने स्वीकार किया है. वहीं, अब यहां हिंदू पक्ष को पूजा का भी अधिकार मिल गया है.
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क्या है व्यासजी के तहखाने की पूरी कहानी?
व्यासजी के तहखाने की पूरी कहानी जानने के लिउ यूपी Tak ने वकील विष्णु शंकर जैन से खास बातचीत की. उन्होंने बताया, "नंदी भगवान के ठीक सामने व्यास परिवार का तहखाना है. इस मस्जिद के ग्राउंड फ्लोर में 1993 तक यहां पूजा होती थी. लेकिन नवंबर 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार द्वारा अवैध रूप से यहां पूजा बंद करा दी गई. वहां से पुजारियों को हटा दिया गया. यह आर्टिकल 25 का भी उल्लंघन है. मैंने यह भी मांग की थी कि कभी भी अंजुमन इंतजामियां इस तहखाना पर कब्जा कर सकती है, जिसके बाद कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया है."
मुस्लिम पक्ष के बयान पर विष्णु जैन ने ये कहा
मुस्लिम पक्ष के बयानों पर विष्णु शंकर जैन ने कहा, "इनकी बातें रिकॉर्ड्स के खिलाफ हैं. यह वक्फ की संपत्ति नहीं है. यह प्लेसिस ऑफ वरशिप एक्ट-1991 के अंदर भी नहीं आता है, क्योंकि श्रृंगार गौरी का पूजन वहां 1991 से पहले से हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट में हमने पेटिशन फाइल की है कि जो वजूखाने का सील्ड एरिया है, उसकी भी जांच की जाए. इस बार ASI के थोड़े हाथ खोले जाएं, जिससे वहां के फीचर्स की सही से स्टडी हो सके."
विष्णु जैन ने कहा, "ASI रिपोर्ट बहुत मजबूत साक्ष्य साबित होगी. अकबर के द्वारा बनाने वाली दलीलें फेल हो चुकी हैं. यह मंदिर 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया है. अंजुमन इंतजामिया को खुद से इस केस को छोड़ देना चाहिए और ट्रस्ट के हवाले कर देना चाहिए."
श्रृंगार गौरी केस से अलग है व्यासजी के तहखाने का मामला
18 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं ने सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था. महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन-दर्शन की मांग की. महिलाओं की मांग पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था. वहीं, ASI ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी. बता दें कि श्रृंगार गौरी केस और व्यासजी के तहखाने में पूजा की मांग दोनों अलग-अलग मामले हैं.
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