उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पहले राजनीतिक दल अलग-अलग रणनीतियों के आधार पर ज्यादा से ज्यादा वोटरों को साधने की कोशिश में जुटे हैं. इस बीच बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने सोशल मीडिया पर पार्टी के फाउंडर कांशीराम का एक पुराना वीडियो पोस्ट किया है.
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आकाश ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा है, ”उत्तर प्रदेश आज अपराध प्रदेश बन चुका है. जहां गुंडों और अपराधियों को खुली छूट मिल चुकी है. मान्यवर कांशीराम जी के इस भाषण को सुनिए, जिससे आपको खुद एहसास हो जाएगा कि उत्तर प्रदेश सबसे सुरक्षित सिर्फ और सिर्फ हमारी आदरणीय मायावती जी के शासनकाल में ही रहा है.”
एक ऐसे वक्त में जब हाल के कुछ मामलों को लेकर यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं, बीएसपी चीफ मायावती के भतीजे आकाश आनंद का यह ट्वीट कानून व्यवस्था दुरुस्त करने के दावे के रूप में देखा जा रहा है. साथ ही कांशीराम के वीडियो के जरिए महिलाओं को साधने की कोशिश भी दिख रही है.
वीडियो में कांशीराम कहते नजर आ रहे हैं,
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”जब मायावती मुख्यमंत्री बनीं तो मैंने मायावती से कहा सबसे पहले जुल्म ज्यादती का, अन्याय अत्याचार का अंत करना चाहिए.”
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”पहले 2 महीने में मायावती ने 1 लाख 45 हजार गुंडों को गुंडा एक्ट लगाकर, गैंगस्टर लगाकर जेल में बंद किया… दो महीने के अंदर जो गुंडे जेल से बाहर बचे वो उत्तर प्रदेश छोड़कर दूसरे प्रदेशों में भाग गए. बहुत से लोग तो देश छोड़कर विदेश नेपाल भाग गए. जब तक मायावती की सरकार रही, उनकी वापस आने की हिम्मत नहीं पड़ी.”
इसमें कांशीराम आगे कह रहे हैं, ”एक महिला ने महिलाओं पर हो रहे अन्याय को रोकने के लिए मजबूती के साथ सरकार चलाई, दो महीने में उस मजबूती का असर दिखाया. उसके बाद जब दोबारा, 1995 के बाद दोबारा उनके 6 महीने के लिए मुख्यमंत्री बनने का ऐलान हुआ तो उनको शपथ दिलाने के लिए मैं लखनऊ पहुंचा, तो पेपरों में हेडलाइन थी कि मायावती उत्तर प्रदेश की दोबारा मुख्यमंत्री बन रही हैं, उनका नाम सुनते ही आधी गुंडागर्दी उत्तर प्रदेश में खत्म हो गई है.”
आकाश आनंद के ट्वीट पर वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल की राय
वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल मानते हैं कि बीएसपी के कोऑर्डिनेटर की ओर से कांशीराम का पुराना विडियो ट्वीट करने के बड़े सियासी मायने हैं.
रतन मणि लाल कहते हैं, ”इसको दो हिस्सों में देखा जाना चाहिए. एक तो वो बात कि मायावती की सरकार में जो सख्ती थी उसको याद किया जाए. यानी इस बात को साफ तौर पर बताना कि कानून-व्यवस्था मेंटेन करने में मायावती जाति, धर्म या किसी भी अन्य फैक्टर को नहीं आने देंगी. वहीं दूसरी ओर इस बात को भी मजबूती से कहना कि एक महिला कानून व्यवस्था को मेटेंन करने की जरूरत को बेहतर समझ सकती है.”
रतन मणि लाल का मानना है कि कानून-व्यवस्था को लेकर बीएसपी का इशारा समाजवादी पार्टी के पहले के शासन की तरफ भी है.
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