मायावती का फोन नहीं उठाने को लेकर अखिलेश का आया जवाब, अब फिर बसपा सुप्रीमो ने ये कह डाला

यूपी तक

13 Sep 2024 (अपडेटेड: 13 Sep 2024, 10:54 AM)

UP News: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती इन दिनों काफी चर्चाओं में हैं. दरअसल बसपा की बुकलेट में मायावती की तरफ से दावा किया गया है कि साल 2019 में सपा-बसपा गठबंधन इसलिए टूटा क्योंकि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मायावती का फोन नहीं उठाया. अब इस पूरे मामले को लेकर सियासत तेज हो गई है.

Mayawati, Akhilesh Yadav

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UP Politics: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती इन दिनों काफी चर्चाओं में हैं. दरअसल बसपा की बुकलेट में मायावती की तरफ से दावा किया गया है कि साल 2019 में सपा-बसपा गठबंधन इसलिए टूटा क्योंकि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मायावती का फोन नहीं उठाया. मायावती की तरफ से दावा किया गया है कि अखिलेश यादव ने उनके और बसपा के किसी भी नेता का फोन नहीं उठाया और बात नहीं की, जिसके बाद बसपा ने गठबंधन तोड़ लिया.

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मीडिया रिपोर्ट की माने तो मायावती के इन आरोपों पर अखिलेश यादव ने कहा है कि उनकी तरफ से फोन किया गया था. मगर कभी-कभी लोग अपनी बातें छिपाने के लिए ऐसी बातें करते हैं. 

अब इस पूरे मामले पर एक बार फिर मायावती का बयान सामने आया है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव के जवाब पर अपनी बात रखी है. 

अब मायावती ये बोलीं

सोशल मीडिया X पर बसपा चीफ मायावती ने लिखा, ‘लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में BSP के 10 व SP के 5 सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था जिसको लेकर उनके द्वारा अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित व विश्वसनीय? सोचने वाली बात.

उन्होंने आगे लिखा,

बीएसपी सैद्धान्तिक कारणों से गठबंधन नहीं करती है और अगर बड़े उद्देश्यों को लेकर कभी गठबंधन करती है तो फिर उसके प्रति ईमानदार भी जरूर रहती है. सपा के साथ सन 1993 व 2019 में हुए गठबंधन को निभाने का भरपूर प्रयास किया गया, किन्तु ’बहुजन समाज’ का हित व आत्म-सम्मान सर्वोपरि.


बीएसपी जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध है- मायावती

बसपा चीफ और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आगे लिखा, बीएसपी जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध है. अतः चुनावी स्वार्थ के लिए आपाधापी में गठबंधन करने से अलग हटकर ’बहुजन समाज’ में आपसी भाईचारा बनाकर राजनीतिक शक्ति बनाने का मूवमेन्ट है ताकि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का मिशन सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर आत्मनिर्भर हो सके.

सतीश चंद्र मिश्रा भी मैदान में आए

आपको बता दें कि इस पूरे विवाद में अखिलेश यादव को घेरने के लिए मायावती के साथ बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा भी मैदान में आ गए हैं. अखिलेश यादव पर मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा ने डबल अटैक किया है.

बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने सोशल मीडिया X पर लिखा, ‘बहन जी फोन करने के पूर्व मेरे द्वारा फोन करने पर सपा प्रमुख फोन पर नही आए, फिर पार्टी कार्यालय से फोन गया और तब फिर भी फोन पर सपा प्रमुख से बात नहीं करायी गयी. फिर भी बहन जी ने बड़े होने के नाते सपा प्रमुख को फोन कर के हौसला देने की कोशिश की थी लेकिन वह फोन पर  नहीं आए, और इस सबका परिणाम यह रहा कि बीएसपी को गठबंधन तोड़ना पड़ा.

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