BSP चीफ मायावती ने अचानक क्यों की PM नरेंद्र मोदी की तारीफ? जानें आखिर क्या है माजरा 

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09 Aug 2024 (अपडेटेड: 09 Aug 2024, 08:33 PM)

BSP चीफ मायावती ने अचानक PM नरेंद्र मोदी की तारीफ क्यों की? जानें इसके पीछे की असली वजह और क्या है पूरा माजरा

Mayawati

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Mayawati on PM Modi: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों को अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण में उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार दिए जाने के फैसले को संविधान संशोधन के जरिए निष्प्रभावी करने पर जोर दिया. साथ ही भाजपा सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने पर भी मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. 

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जानें मायावती ने क्या कहा? 

मायावती ने ‘एक्‍स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, "माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा आज उनसे भेंट करने गए बीजेपी के SC/ST सांसदों को यह आश्वासन देना कि SC/ST वर्ग में क्रीमी लेयर को लागू नहीं करने तथा एससी-एसटी के आरक्षण में कोई उप-वर्गीकरण भी नहीं करने की उनकी माँगों पर ग़ौर किया जाएगा, यह  उचित व ऐसा किए जाने पर इसका स्वागत.”

भाजपा सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और एससी व एसटी के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर चिंता व्यक्त की. 

मायावती ने एक अन्य पोस्ट में यह भी कहा, "लेकिन अच्छा होता कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष बहस में केंद्र सरकार की तरफ से एटार्नी जनरल द्वारा आरक्षण को लेकर एससी व एसटी में क्रीमी लेयर लागू करना तथा इनका उप-वर्गीकरण किये जाने के पक्ष में दलील नहीं रखी गयी होती, तो शायद यह निर्णय नहीं आता."

 

 

बसपा प्रमुख ने अपने सिलसिलेवार पोस्‍ट में आशंका जाहिर करते हुए कहा, "उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त 2024 के निर्णय को संविधान संशोधन के जरिए जब तक निष्प्रभावी नहीं किया जाता तब तक राज्य सरकारें अपनी राजनीति के तहत वहां इस निर्णय का इस्तेमाल करके एससी/एसटी वर्ग का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर को लागू कर सकती हैं. अतः संविधान संशोधन बिल इसी सत्र में लाया जाए."

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने एक अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण प्रदान किया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं. हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के ‘मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों’ के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि ‘मर्जी’ और ‘राजनीतिक लाभ’ के आधार पर. 

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