केशव मौर्य को हराने वाली पल्लवी पटेल से भी मिले CM योगी आदित्यनाथ, इनसाइड स्टोरी अब पता चली!

कुमार अभिषेक

25 Jul 2024 (अपडेटेड: 25 Jul 2024, 08:52 PM)

Yogi Adityanath news: उत्तर प्रदेश में इस वक्त मेल मुलाकातों का दौर चल रहा है. खासकर यूपी बीजेपी में ये दौर कुछ ज्यादा ही तेज है. एक तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ की जोन वाइज समीक्षा बैठकें चल रही हैं, तो दूसरी तरफ केशव प्रसाद मौर्य अलग-अलग इलाकों के नेताओं, विधायकों से कैंप कार्यालय में मिल रहे हैं.

पल्लवी पटेल (File Photo)

Apna Dal Pallavi Patel

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Yogi Adityanath news: उत्तर प्रदेश में इस वक्त मेल मुलाकातों का दौर चल रहा है. खासकर यूपी बीजेपी में ये दौर कुछ ज्यादा ही तेज है. एक तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ की जोन वाइज समीक्षा बैठकें चल रही हैं, तो दूसरी तरफ केशव प्रसाद मौर्य अलग-अलग इलाकों के नेताओं, विधायकों से कैंप कार्यालय में मिल रहे हैं. सीएम और डिप्टी सीएम की ये मुलाकातें काफी सुर्खियां बंटोर रही हैं. इसी बीच खबर आई है कि सीएम योगी ने अपना दल कमेरावादी की नेता और सपा विधायक पल्लवी पटेल से मुलाकात की है. 

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पल्लवी पटेल वही नेता हैं, जिन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में सिराथु विधानसभा सीट से केशव प्रसाद मौर्य को 12 हजार वोटों से शिकस्त दी थी. तब पल्लवी पटेल की पार्टी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) संग गठबंधन का हिस्सा थी. हालांकि बाद में पल्लवी पटेल और अखिलेश यादव का यह साथ बरकरार नहीं रह पाया. पहले राज्यसभा चुनाव में पल्लवी पटेल ने वोटिंग के वक्त सपा से अलग रुख दिखाया. बाद में लोकसभा चुनाव में पल्लवी एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी के साथ गठबंधन में चली गईं. हालांकि पल्लवी को इस गठबंधन का कोई फायदा नहीं हुआ. 

सीएम योगी संग क्यों हुई मुलाकात? 

असल में सीएम योगी और पल्लवी पटेल की ये मुलाकात बुधवार को हई है. सीएम आवास पर दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे की बातचीत हुई. फिलहाल तो यही बताया जा रहा है कि पल्लवी पटेल अपने विधानसभा क्षेत्र सिराथु से जुड़े मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करने पहुंची थीं. 

आपको बता दें कि पल्लवी पटेल अनुप्रिया पटेल की बहन हैं. अनुप्रिया और उनकी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) बीजेपी की सहयोगी हैं औऱ एनडीए का हिस्सा हैं. पिछले दिनों अनुप्रिया पटेल की एक चिट्ठी काफी वायरल हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि योगी सरकार में इंटरव्यू आधारित नौकरियों में दलित और पिछड़े कैंडिडेट्स को नॉट फाउंड सुटेबल (NFS) बता दिया जा रहा है. हालांकि यूपी सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था. 

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