घोसी में ना चला योगी का मैजिक और ना भाजपा की रणनीति, कैसे जीती सपा? जानें जीत-हार की सभी वजहें

यूपी तक

08 Sep 2023 (अपडेटेड: 08 Sep 2023, 05:19 PM)

Ghosi By-election Result : इंडिया और एनडीए गठबंधन के लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा है घोसी उपचुनाव के नतीजे अब सबके सामने आ गए…

सीएम योगी और अखिलेश यादव

सीएम योगी और अखिलेश यादव

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Ghosi By-election Result : इंडिया और एनडीए गठबंधन के लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा है घोसी उपचुनाव के नतीजे अब सबके सामने आ गए हैं. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने भाजपा के दारा सिंह चौहान को 42 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया है. 33 राउंड के चले इस मतगणना में बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को 81, 668 हजार वोट मिले. वहीं सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को 12,44,27 वोट मिले हैं. इसी के साथ सपा इस सीट को बचाने में कामयाब रही. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में यहां सपा ने ही जीत दर्ज की थी.

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सपा को रास आया ये मुद्दा

वहीं घोसी उपचुनाव में जीत का दावा कर रही भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है. आखिर भाजपा का दाव कहां उलटा पड़ा गया और सपा की कौन सी रणनीति काम की, इन सारे सवालों का जबाव घोसी के स्थानीय पत्रकारों ने दिया. यूपी तक से बात करते हुए स्थानीय पत्रकारों ने भाजपा की हार और सपा की जीत के कई कारण को बताया. स्थानीय पत्रकार अभिषेक सिंह ने यूपीतक को बताया कि, ‘ये रिजल्ट सुधाकर सिंह के पक्ष में नहीं आया है बल्कि दल बदल करने वाले दारा सिंह के खिलाफ आया है. इस चुनाव में स्थानीय और बाहरी के मुद्दे ने भी काफी काम किया. सुधाकर सिंह ने इस चुनाव को स्थानीय के मुकाबले बाहरी का बना दिया था.’

दारा सिंह से लोगों की नाराजगी

वहीं यूपीतक से बात करते हुए स्थानीय पत्रकार पुनीत श्रीवास्ताव ने बताया कि, ‘मतगणना में पहले राउंड से सपा के सुधाकर सिंह ने जो बढ़त बनाया था जो अंतिम राउंड तक जारी रहा. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के लोगों ने किस तरह से सपा को वोट किया. इस चुनाव में सुधाकर सिंह के जीत से ज्यादा दारा सिंह चौहान को लोग हारते हुए देखना चाहते थे.’

ओपी राजभर का नहीं चला जादू

ओम प्रकाश राजभर के एनडीए गठबंधन में शामिल होने का भी कोई खास फायदा बीजेपी को नहीं हुआ. घोसी उपचुनाव रिजल्ट ने साफ कर दिया है कि ओमप्रकाश राजभर को उनके सामाज के लोग भी पूरी तरह से सपोर्ट नहीं करते. अगर राजभर और अन्य पिछड़ी जातियों ने दारा सिंह चौहान को खुलकर वोट किया होता तो भाजपा का ये हाल नहीं होता. रिजल्ट से साफ है कि ओमप्रकाश राजभर या संजय निषाद अपने समुदाय के सारे वोट लेकर नहीं चलते.

शिवपाल यादव का कमाल

इसके अलावा कहीं न कहीं दारा सिंह चौहान का सपा और विधायकी पद से इस्तीफा और फिर बीजेपी के टिकट देना भी जनता को रास नहीं आया. वहीं इस जीत के पीछे कुछ पत्रकारों ने समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल यादव के कुशल मैनेजमेंट को भी बड़ा फैक्टर मानते हैं. शिवापल यादव के वजह से ही जीत का अंतर इतना बड़ा रहा.

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