Jayant Chaudhary News: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल तेज है. इसकी वजह राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी हैं. दरअसल, बुधवार को रालोद के विधायकों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. कहा गया कि रालोद के विधायक जनता के काम न हो पाने के चलते सीएम योगी से मिले थे. वहीं, दूसरी तरफ इस मुलाकात से अटकलों का बाजार गर्म हो गया. कहा जाने लगा कि ‘INDIA’ गठबंधन में रहने के बावजूद जयंत अभी भी भाजपा के नेतृत्व वाले NDA में अपनी जगह तलाश रहे हैं और मूड भांप रहे हैं. इस बीच यूपी Tak ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दो वरिष्ठ पत्रकारों से जयंत की स्ट्रैटिजी को लेकर खास बातचीत की है. जानिए उन्होंने हमें क्या बताया?
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रालोद की राजनीति को करीब से देखने वाले राजीव प्रताप सैनी ने कहा, “विपक्ष के विधायक हैं, विशेष रूप से रालोद के उनके काम नहीं हो रहे हैं. इस बात को लेकर उनपर जनता का दबाव है. हो सकता है कि यह उनके मिलने का मकसद हो. दूसरा राज्यसभा में वोटिंग के दौरान जयंत जो गैर-हाजिर रहे उसको लेकर कयासबाजी का दौर तो है ही. ऐसा माना जा रहा है कि जयंत मोलभाव की स्थिति मैं हैं और अभी गुंजाइश है.”
जयंत अपने विधायकों से एक महीने बाद मिले!
उन्होंने आगे कहा कि सीएम योगी के पास विधायक सिर्फ चर्चा के लिए गए थे क्योंकि उनके पास इतना (मोलभाव का) अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर पर्दे के पीछे कुछ चल रहा है तो उसमें सिर्फ जयंत सीधे तौर पर शामिल हैं. सैनी ने दावा करते हुए कहा कि जयंत खुद अभी अपने विधायकों से एक महीने बाद मिले हैं.
सपा ने रालोद की उपेक्षा की?
वहीं, वेस्ट यूपी की राजनीति को कवर करने वाले पत्रकार आस मोहम्मद कैफ ने हमें बताया, “देखिए समय बदलता रहता है. 2022 के विधानसभा चुनाव के समय सीटों के बंटवारे में सपा चीफ अखिलेश यादव की ज्यादा चली थी. इसके बाद जयंत को राज्यसभा भेजा गया मगर उनके और अखिलेश के बीच में यस-नो, यस-नो चलती रही. जयंत और उनके कार्यकर्ताओं को ऐसा लगा कि उनकी उपेक्षा हुई है. रालोद के कार्यकर्ताओं को लगा कि अखिलेश, जयंत को सम्मान तो दे रहे हैं मगर नीचा दिखाकर.”
रालोद के पास आ गया मुसिम वोटबैंक!
आस मोहम्मद ने कहा कि वह ऐसा मानते हैं कि जयंत को ऐसा लगता है कि जो मुस्लिम वोटबैंक एक जमाने में पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह और उनके बेटे अजीत सिंह के साथ था वो वापस उनके पास आ गया है. ऐसे में वह अब सपा पर दबाव डालकर अपना पक्ष मजबूत कर सकते हैं. उन्होंने अपनी इस बात के लिए उदहारण देते हुए कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में रालोद के विधायकों की जीत में मुस्लिम मतदातओं का अहम रोल रहा, जिससे अब जयंत कॉन्फिडेंस में हैं.
तो इसलिए साथ नहीं आएंगे जयंत और भाजपा?
बकौल आस, भाजपा और रालोद इसलिए भी साथ नहीं आ सकते क्योंकि जो सीटें पश्चिम यूपी में जयंत मांगेंगे उनपर भाजपा का कब्जा है. ऐसे में भाजपा, रालोद के लिए अपनी सीटें नहीं छोड़ेगी. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें इस बात की फिलहाल कोई संभावना नहीं दिखती है कि जयंत भाजपा का दामन थामने वाले हैं.
जयंत फिर नजर आए ‘INDIA’ की बैठक में
आपको बता दें कि रालोद ने 10 अगस्त को एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया. इसमें राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के चेंबर में हुई ‘INDIA’ गठबंधन की बैठक में जयंत बैठे हुए नजर आए.
रालोद ने कहा, “राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष @kharge जी के चेंबर में हुई INDIA गठबंधन की बैठक में #RLD के राष्ट्रीय अध्यक्ष @jayantrld जी शामिल हुए. INDIA की मांग है कि प्रधानमंत्री सदन में आकर #मणिपुर पर चर्चा करें और सभी सवालों के जवाब दें. वे बार-बार अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकते.”
जयंत ने दिया ये इशारा
सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि जयंत विपक्ष की बैठक में शामिल होकर ये बता दिया है कि फिलहाल वह ‘INDIA’ गठबंधन के साथ हैं और भाजपा के साथ उनका जाना सिर्फ कयासबाजी है.
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