उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कुछ दिन पहले कहा था कि ‘संगठन सरकार से बड़ा होता है.’ उन्होंने अपने इस ट्वीट को अपनी टाइमलाइन पर पिन भी किया था. इसके बाद काफी हो हल्ला मचा, लेकिन यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष के बनते ही केशव प्रसाद मौर्य ने भी अपने बयान में बदलाव किया है और संगठन और सरकार दोनों को एक दूसरे का पूरक बता दिया है.
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केशव प्रसाद मौर्य के इस बदले सुर की क्या वजह है? जानकारों के अनुसार, एक बार जो हाईकमान ने तय कर दिया, तो केशव मौर्य ने भी उसे मान लिया. वैसे भी नए अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी संगठन के आदमी माने जाते हैं, जो 6 साल से योगी मंत्रिमंडल में रहते हुए भी किसी के करीबी होने या फिर से के गुट में होने की किसी चर्चा में नहीं रहे हैं.
पार्टी के कार्यकर्ता इसे बीजेपी का ‘कार्यकर्ता कार्ड’ कह रहे हैं. यानी कि एक कार्यकर्ता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के फैसले पर पार्टी का संगठन और पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ता खुश है के अध्यक्ष उनके बीच का ही है जो हाल तक सिर्फ संगठन के काम किया करता था.
बहरहाल केशव प्रसाद मौर्य के बदले रुख की वजह अब साफ है. संगठन का एक शख्स सरकार से निकलकर वापस संगठन में चला गया है. वहीं, संगठन और सरकार में संगठन ऊपर माना गया, तो केशव प्रसाद मौर्य का रुख ही बदल गया. हालांकि, इस संगठन की सर्वोच्चता सभी मानते हैं. स्वतंत्र देव सिंह ने और नए अध्यक्ष ने भी कहा कि संगठन से ही सरकार होती है और संगठन के एजेंडे को सरकार लागू करेगी.
संगठन महामंत्री रहे सुनील बंसल के जाने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात पर है कि आखिर सिक्का चलेगा किस का, संगठन का या सरकार का? सुनील बंसल जब तक उत्तर प्रदेश में संगठन महामंत्री थे, तब तक संगठन को उन्होंने हमेशा सरकार के बराबर खड़ा रखा. अब नए अध्यक्ष के सामने बड़ी चुनौती होगी. कार्यकर्ताओं का स्वाभिमान भी बना रहे और सरकार भी बदस्तूर अपने एजेंडे पर चलती रहे.
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