Uttar Pradesh News : केंद्र की मोदी सरकार ने लेटरल एंट्री (Lateral Entry) को बड़े पैमाने पर लागू करने फैसला किया है. केंद्र सरकार ने साल 2019 में सरकारी नौकरशाही में बाहरी विशेषज्ञों को लाने का तरीका लाई थी, जिसे लेटरल एंट्री कहा जाता है. मोदी सरकार इसे फिर दोहराने जा रही है. इस बार लेटरल एंट्री के तहत सरकार का लक्ष्य संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक स्तर पर 45 डोमेन एक्सपर्ट्स की भर्ती करना है. सरकार के इस फैसले के बाद विवाद छिड़ गया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव से लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
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मायवती ने जताई नाराजगी
बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार सुहब केंद्र सरकार के लेटरल एंट्री के फैसले पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि, 'केन्द्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा.' बीएसपी चीफ ने प्रतिक्रिया देते हुए आगे कहा, 'इसके साथ ही, इन सरकारी नियुक्तियों में SC, ST व OBC वर्गों के लोगों को उनके कोटे के अनुपात में अगर नियुक्ति नहीं दी जाती है तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन होगा. इन उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियों को बिना किसी नियम के बनाये हुये भरना यह बीजेपी सरकार की मनमानी होगी, जो कि गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक होगा.'
अखिलेश ने दी आंदोलन की चेतावनी
वहीं इस मामले में सपा प्रमुख अखिवेश यादन ने लिखा कि, 'भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाज़े से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साज़िश कर रही है. उसके ख़िलाफ़ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है. देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि भाजपा सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों.' सपा प्रमुख ने मांग की है कि, भाजपा सरकार इस फैसले को तत्काल वापस ले क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है. भाजपा अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है.
क्या है केंद्र सरकार का फैसला
बता दें कि केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) ने अलग-अलग मंत्रालयों में संयुक्त सचिव और निदेशक/उपसचिव स्तर के 45 पदों के लिए भर्ती निकाली है. इनमें से 10 पद संयुक्त सचिव के लिए और 35 पद निदेशक/उपसचिव के लिए हैं. इन पदों पर नियुक्त होने वाले अधिकारी सरकार के साथ तीन साल के कॉन्ट्रैक्ट पर काम करेंगे और अगर उनका प्रदर्शन अच्छा रहा तो यह कॉन्ट्रैक्ट पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है.
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