उत्तर प्रदेश में जल शक्ति विभाग के राज्यमंत्री दिनेश खटीक (Dinesh Khatik) ने बुधवार रात को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) से दिल्ली में मुलाकात की. वहां से लखनऊ लौटने के बाद गुरुवार को वे सीएम योगी से मिले. सीएम से मिलने के बाद जब मंत्री खटीक बाहर आए तो यूपी तक से खास बात की. मंत्री खटीक से बातचीत के दौरान ऐसा लगा जैसे उनकी नाराजगी दूर हो चुकी है.
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सीएम योगी से मिलने के बाद दिनेश खटीक ने कहा- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि यूपी में जीरो टॉलरेंस पर काम होगा. जो मेरी समस्याएं थीं वो मैने मुख्यमंत्री योगी को बताई. कानूनी कारवाई होगी. जो मैंने लेटर पर लिखा उसपर कानूनी कारवाई होगी, ऐसा सीएम ने कहा है. स्वतंत्र देव सिंह मेरे बड़े भाई हैं. यह योगी सरकार है, जहां जीरो टॉलरेंस पर काम होता है.
सीएम योगी से पहले दिनेश खटीक ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में उनके आवास पर मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच इस दौरान यूपी के मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई. इस मौके पर दिनेश खटीक के साथ पश्चिम के सह-संगठन मंत्री कर्मवीर भी मौजूद रहे. मिली जानकारी के अनुसार, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिनेश खटीक की बातें सुनीं और उन्हें समस्याओं के निराकरण का आश्वासन भी दिया. मगर इसके साथ ही नड्डा ने खटीक को नसीहत दी कि वह सरकार और पार्टी के मसले को पार्टी फोरम में ही उठाएं.
खटीक ने गृहमंत्री शाह को लिखी थी चिट्ठी
मंत्री दिनेश खटीक ने गृहमंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने आरोप लगाया था कि दलित होने की वजह से विभाग में उनकी सुनवाई नहीं होती और न ही किसी बैठक की सूचना उन्हें दी जाती है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यमंत्री के अधिकार के तौर पर सिर्फ गाड़ी दे दी गई है. मंत्री ने ट्रांसफर के मामलों में बड़े भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. गड़बड़ी को लेकर जब उन्होंने अधिकारियों से जानकारी मांगी तो उन्हें अब तक जानकारी नहीं दी गई.
प्रमुख सचिव सिंचाई पर आरोप लगाते हुए खटीक ने कहा था कि फोन करने के दौरान बिना पूरी बात सुने ही उन्होंने फोन काट दिया था. मंत्री ने नमामि गंगे योजना में भी भ्रष्टाचार की बात कही है. दिनेश खटीक ने सीधे सीधे अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाया है. खटीक ने कहा, “जब विभाग में दलित समाज के राज्य मंत्री का विभाग में कोई अस्तित्व नहीं है, तो फिर ऐसी स्थिति में राज्य मंत्री के रूप में मेरा कार्य करना दलित समाज के लिये बेकार है. इन्हीं सब बातों से आहत होकर मैं अपने पद से त्यागपत्र दे रहा हूं.”
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