Mohan Bhagwat News: उत्तर प्रदेश में हाल ही के दिनों में मंदिर-मस्जिद विवाद के मामलों में इजाफा देखने को मिला है. चाहे वो संभल की मस्जिद का विवाद हो या बदायूं और जौनपुर की. इन घटनाओं की वजह से सूबे में सांप्रदायिक तनाव भी बढ़ा है. लगातार हो रहीं मस्जिदों के सर्वे के मांग को लेकर यूपी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. विपक्ष के एक नेता ने तंज कसते हुए यह भी कहा है कि इस समय 'भारत खोदो योजना' चल रही है. इसी बीच इन्हीं घटनाओं को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा और सख्त बयान दिया है. बता दें कि भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद कुछ लोग ऐसे मुद्दों को उछालकर खुद को 'हिंदुओं के नेता' साबित करना चाहते हैं. हालांकि, भागवत ने यह बयान किसी का नाम लिए बगैर दिया है और यह कह पाना मुश्किल है कि उन्होंने यह बात किसके लिए कही है.
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बता दें कि गुरुवार को सहजीवन व्याख्यानमाला में ‘भारत-विश्वगुरु’ विषय पर व्याख्यान देते हुए आरएसएस प्रमुख ने समावेशी समाज की वकालत की और कहा कि दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि देश सद्भावना के साथ एक साथ रह सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि 'केवल हम ही ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हम हिंदू हैं.'
भागवत ने कहा, "हमारे यहां हमारी ही बातें सही, बाकी सब गलत यह चलेगा नहीं. अलग-अलग मुद्दे रहें, तब भी हम सब मिलजुल कर रहेंगे. हमारी वजह से दूसरों को तकलीफ न हो इस बात का ख्याल रखेंगे. जितनी श्रद्धा मेरी मेरी खुद की बातों में है, उतनी श्रद्धा मेरी दूसरों की बातों में भी रहनी चाहिए. हमें यह व्यवहार पालन करना होगा और मतों की भिन्नता नहीं चलेगी. लोभ लालच आक्रमण करके दूसरों की देवी देवताओं की विडंबना करना यह नहीं चलेगा."
हालिया यूपी में सामने आए ये मामले
हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में मंदिर-मस्जिद विवादों के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिससे सामाजिक और राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है. ये विवाद खासकर धार्मिक स्थलों के स्वामित्व और उनके ऐतिहासिक महत्व को लेकर उठ रहे हैं. प्रमुख मामलों की बात करें तो:
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (वाराणसी)
वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद मामला सबसे चर्चित रहा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के ऊपर बनाई गई थी. मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा इस विवाद को और गहरा कर चुका है.
कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद (मथुरा)
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद का विवाद भी पुराना है. हिंदू संगठनों का कहना है कि मस्जिद मंदिर की भूमि पर बनाई गई थी. इस मामले को लेकर अदालतों में याचिकाएं भी दायर की गई हैं.
शम्सी जामा मस्जिद (बदायूं)
यूपी के बदायूं में 13वीं ईस्वी में शमसुद्दीन इल्तुतमिश ने इस मस्जिद को बनवाया था. 2022 में हिंदू संगठनों ने दावा किया था कि ये मस्जिद नीलकंठ महादेव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी. हिंदू संगठनों ने यहां पूजा करने का अधिकार मांगा है. इस मामले की सुनवाई इसी महीने होने वाली है.
जामा मस्जिद (संभल)
यूपी के संभल में बनी जामा मस्जिद को लेकर पिछले महीने बड़ा बवाल हुआ था. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि 1526 में बाबर ने मंदिर तोड़कर इसे बनाया था. पहले यहां हरिहर मंदिर हुआ करता था. हिंदू पक्ष की याचिका पर निचली अदालत ने सर्वे का आदेश भी दे दिया था. इसका सर्वे भी हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यहां सुनवाई पर फिलहाल रोक लगा दी गई है. अगले महीने सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई होनी है.
जामा मस्जिद (फतेहपुर सीकरी)
आगरा से 40 किलोमीटर दूर फतेहपुर सीकरी में बनी जामा मस्जिद को लेकर हाल ही में हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि यहां पहले कामाख्या देवी का मंदिर हुआ करता था. दावा किया गया है कि मस्जिद के नीचे कटरा केशव देव की मूर्तियां हैं. हिंदू पक्ष ने मस्जिद पर अपना अधिकार मांगा है. मामला आगरा की अदालत में है.
गंगा महारानी मंदिर विवाद (बरेली)
हाल ही में बरेली में गंगा महारानी मंदिर पर मुस्लिम समुदाय के कथित कब्जे का मामला सामने आया. मंदिर की मूर्तियों को हटाने का आरोप भी लगा, जिसके बाद यह विवाद चर्चा में आ गया.
हर दिन एक नया मामला उठाया जा रहा: भागवत
भागवत ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया क्योंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था. उन्होंने किसी विशेष स्थल का उल्लेख किए बिना कहा, "हर दिन एक नया मामला (विवाद) उठाया जा रहा है. इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है? यह जारी नहीं रह सकता. भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं."
उन्होंने कहा, "हम लंबे समय से सद्भावना से रह रहे हैं. अगर हम दुनिया को यह सद्भावना प्रदान करना चाहते हैं, तो हमें इसका एक मॉडल बनाने की जरूरत है. राम मंदिर के निर्माण के बाद, कुछ लोगों को लगता है कि वे नयी जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं. यह स्वीकार्य नहीं है."
भागवत ने औरंगजेब का जिक्र कर ये कहा
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आ जाए. उन्होंने कहा, "लेकिन अब देश संविधान के अनुसार चलता है. इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं. अधिपत्य के दिन चले गए." उन्होंने कहा कि मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन भी इसी तरह की कट्टरता से पहचाना जाता था, हालांकि उसके वंशज बहादुर शाह जफर ने 1857 में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था."
अंग्रेजों ने दोनों समुदाय के बीच दरार पैदा की
उन्होंने कहा, "यह तय हुआ था कि अयोध्या में राम मंदिर हिंदुओं को दिया जाना चाहिए, लेकिन अंग्रेजों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी. तब से, अलगाववाद की भावना अस्तित्व में आई. परिणामस्वरूप, पाकिस्तान अस्तित्व में आया."
भागवत ने कहा कि अगर सभी खुद को भारतीय मानते हैं तो ‘‘वर्चस्व की भाषा’’ का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है. आरएसएस प्रमुख ने कहा, "कौन अल्पसंख्यक है और कौन बहुसंख्यक? यहां सभी समान हैं. इस देश की परंपरा है कि सभी अपनी-अपनी पूजा पद्धति का पालन कर सकते हैं. आवश्यकता केवल सद्भावना से रहने और नियमों और कानूनों का पालन करने की है."
नीचे शेयर किए गए वीडियो में सुनें मोहन भागवत का पूरा बयान:
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