Sambhal news: संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद से ही यहां के स्थानीय सांसद जिया उर रहमान बर्क पुलिस-प्रशासन के निशाने पर हैं. बर्क पर पहले संभल हिंसा को लेकर केस दर्ज हुआ. इसके बाद बिजली विभाग ने उनके घर में मीटर से हेरफेर कर बिजली चोरी करने का आरोप मढ़ दिया. बात सिर्फ आरोप तक ही सीमित नहीं रही. बर्क के खिलाफ बकायदा बिजली चोरी का केस हुआ और बिजली चोरी के आरोप में 1.91 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया गया. कथित बिजली चोरी के लिए उनके आवास की बिजली भी काट दी गई. बर्क और उनके परिवार ने आरोप लगाया कि योगी सरकार उन्हें निशाना बना रही है और इस बीच सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर आई है कि संभल सांसद ने गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए वक्त मांगा है.
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सूत्रों ने यूपी Tak को बताया कि जिया उर रहमान बर्क संभल के हालात, कानून व्यवस्था , प्रशासनिक और पुलिसिया कार्रवाई को लेकर अपनी बात रखना चाहते हैं. यही वजह है कि उन्होंने अमित शाह से मिलने के लिए वक्त मांगा है. अब यह देखना रोचक होगा कि बर्क और गृहमंत्री शाह की मुलाकात हो पाती है या नहीं. आपको बता दें कि इस वक्त गृहमंत्री अमित शाह भी संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर पर दिए अपने एक बयान को लेकर राजनीतिक विवादों में फंसे हुए हैं. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत विपक्ष के तमाम दल इस बात पर अड़े हुए हैं कि अंबेडकर के कथित अपमान के आरोप को लेकर अमित शाह को माफी मांगनी पड़ेगी.
जिया उर रहमान बर्क पर हुए हालिया ऐक्शन को भी जान लीजिए
संभल सांसद के खिलाफ गुरुवार को विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 135 के तहत बिजली चोरी के आरोप में पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया है. बिजली विभाग के अधिकारियों का आरोप है कि उनके पिता ममलूकुर रहमान बर्क ने भी दीपा सराय इलाके में उनके घर पर निरीक्षण के दौरान सरकारी अधिकारियों को कथित तौर पर धमकाया है.
आपको बता दें कि सांसद बर्क उन लोगों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ पुलिस ने 24 नवंबर को हुई हिंसा के सिलसिले में मामला दर्ज किया है, संभल के कोट गर्वी इलाके में अदालत के आदेश पर मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण का विरोध करने पर सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई झड़प में चार स्थानीय लोगों की मौत हो गई थी. बर्क ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की भी मांग की है.
बर्क पर 24 नवंबर को लोगों को भड़काने का आरोप है. पुलिस ने आरोप लगाया है कि सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा का कारण उनका भड़काऊ भाषण था. रिट याचिका में सांसद ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा है कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है. उनके वकील के अनुसार, वह घटना स्थल पर मौजूद नहीं थे, फिर भी उन्हें प्राथमिकी में आरोपी बनाया गया है.
इस बीच सांसद बर्क ने चुप्पी तोड़ते हुए सोशल मीडिया पर अपना जवाब दिया है. बर्क ने इस पूरी कार्रवाई को संभल हिंसा से जोड़ते हुए कहा कि यह उनके मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का नतीजा है. उन्होंने बिजली मीटर में टैंपरिंग की रिपोर्ट को झूठा करार दिया और इसे राजनीतिक साजिश बताया. बर्क ने कहा कि यह कार्रवाई उन्हें फंसाने के इरादे से की गई है. इससे पहले सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी बयान देते हुए कहा था कि यह मामला मुसलमानों को निशाना बनाने की साजिश है. उन्होंने इसे सरकार के इशारे पर अधिकारियों का खेल बताया था. बर्क ने साफ कहा कि वह किसी दबाव में झुकने वाले नहीं हैं.
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