इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके वास्तविक नाम से मुख्यमंत्री पद की फिर से शपथ लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
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याचिका में दलील दी गई कि मुख्यमंत्री के कई नामों जैसे आदित्यनाथ, योगी आदित्यनाथ आदि का उपयोग किया जा रहा है.
मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ ने दिल्ली के नमः नाम के व्यक्ति द्वारा दायर इस याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.
याचिकाकर्ता की दलील थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विभिन्न नामों का उपयोग डिजिटल मंचों सहित विभिन्न मंचों पर किया जा रहा है जिससे लोगों में भ्रम पैदा हो रहा है. इसलिए राज्य सरकार को डिजिटल और गैर डिजिटल मंचों पर मुख्यमंत्री के केवल एक नाम का उपयोग करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका पर आपत्ति जताते हुए दलील दी कि यह याचिका विचारणीय नहीं है क्योंकि इसमें मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत क्षमता में पक्षकार बनाया गया है और एक व्यक्ति के खिलाफ जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती.
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने जनता के लाभ के लिए यह याचिका दायर नहीं की है, बल्कि महज प्रचार के लिए इसे दायर किया है.
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने किसी गुप्त उद्देश्य के साथ यह याचिका दायर नहीं की है और इसे लोगों के लाभ के लिए दायर किया गया है.
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