यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राज्यसभा चुनाव को लेकर बीजेपी-सपा के बीच रोचक मुकाबला होने वाला है. इस मुकाबले में सपा की तीसरी राज्यसभा सीट फंसती नजर आ रही है. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने आठवें प्रत्याशी के रूप में संजय सेठ का नामांकन दाखिल कराकर सपा चीफ अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ा दी है. पहले सपा के जहां तीसरी राज्यसभा सीट जीतने की संभावना अधिक थी, अब वह तीसरी सीट बीजेपी ने अपना 8वां उम्मीदवार उताकर फंसा दी है.
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बता दें कि सपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए जया बच्चन, रामजी सुमन और आलोक रंजन को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि बीजेपी ने आरपीएन सिंह, चौधरी तेजवीर सिंह, अमरपाल मौर्य, संगीता बलवंत, सुधांशु त्रिवेदी, साधना सिंह, नवीन जैन और संजय सेठ को टिकट दिया है.
सपा का सियासी गणित उलझा
यूपी में राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव होने हैं. बीजेपी ने 8 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि सपा ने तीन कैंडिडेट उतारे हैं. पहले राज्यसभा चुनाव में यूपी की 10 में से 7 सीटों पर बीजेपी और 3 सीटों पर सपा की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन सपा को अपने ही साथी गठबंधनों से एक के बाद एक कई झटके मिलने और नॉमिनेशन के आखिरी दिन बीजेपी की तरफ से आठवें प्रत्याशी के रूप में संजय सेठ को उतारने के बाद सपा की राज्यसभा की तीसरी सीट फंसती दिख रही है. वहीं, पहले रालोद चीफ जयंत चौधरी के एनडीए में जाने और फिर अपना दल (कमेरावादी) की नेत्री व सपा विधायक पल्लवी पटेल के हालिया ऐलान से अखिलेश यादव के उम्मीदवारों के जीतने का सियासी गणित उलझ गया है.
यूपी Tak से एक्सक्लूसिव बातचीत में पल्लवी पटेल ने कहा है कि पीडीए को मतलब पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक होता है और कुछ मदांध लोग इसे बच्चन और रंजन बनाने में लगे हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि अखिलेश यादव ने अपने मूल मंत्र PDA को फॉलो नहीं किया है और कोई चर्चा भी नहीं की. सियासी गलियारों में ऐसी भी चर्चा है कि पल्लवी पटेल अपनी मां और अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल के लिए एक राज्यसभा सीट चाहती थीं. हालांकि, उन्होंने इसे खारिज कर दिया है. गौरतलब है कि पीडीए सपा चीफ अखिलेश यादव का नारा है और इसके तहत वह यूपी में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं को एकजुट करने की जुगत में हैं.
क्या है अभी राज्यसभा का गणित?
उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 विधानसभा सीट हैं. अभी 399 विधायक हैं. विधानसभा की 4 सीटें खाली हैं. बता दें कि राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 37 विधायकों का वोट चाहिए होता है. विधानसभा में सपा के पास अभी 108 सीट हैं तो वहीं बीजेपी के पास 252 सीट हैं.
विधानसभा में अपना दल (एस) के पास 13 सीट हैं, रालोद के पास 9 सीट हैं और निषाद पार्टी के पास भी 6 सीटें है. विधानसभा में ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा के पास भी 6 विधानसभा सीटें हैं. विधानसभा में बीएसपी के पास 1 सीट, राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के पास 2 सीट और कांग्रेस के पास भी 1 सीट है.
RLD की मदद से हो रहे BJP के पास 288 वोट
दरअसल, एनडीए के वोट अभी 277 हैं. अगर इसमें राष्ट्रीय लोकदल यानी रालोद के भी 9 वोट मिल जाते हैं और राजा भैया की पार्टी के भी 2 वोट भाजपा को मिल जाते हैं, तो एनडीए के पास 288 वोट हो जाएंगे.
बता दें कि 7 उम्मीदवारों को राज्यसभा भेजने के बाद भी एनडीए के पास 28-29 प्रथम वरीयता के सरप्लस वोट रहेंगे. अगर बीजेपी 34-35 वोट तक पहुंच जाती है तो वह अपना आठवां उम्मीदवार जीता ले जाएगी. रालोद और राजा भैया की पार्टी के वोट मिल जाएंगे तो भाजपा का 8वां उम्मीदवार राज्यसभा पहुंच सकता है.
सपा का ऐसे बिगड़ सकता है खेल
सपा के पास 108 विधायक हैं. सपा विधायक इरफान सोलंकी जेल में हैं. ऐसे में वह वोट नहीं दे पाएंगे. ऐसे में सपा विधायकों की संख्या घटकर 107 हो जाएगी. दूसरी तरफ अगर पल्लवी पटेल ने भी सपा को वोट नहीं दिया तो ये संख्या 106 हो जाएगी. सपा को तीन राज्यसभा सीटें जीतने के लिए 111 विधायकों के वोट की जरूरत होगी.
7 उम्मीदवारों राज्यसभा भेजने के बाद भी एनडीए के पास 28-29 प्रथम वरीयता के सरप्लस वोट हैं . ऐसे में बीजेपी-सपा के पास प्रथम वरीयता के वोट करीब-करीब बराबर होंगे. फिर फैसला द्वितीय वरीयता के वोट पर निर्भर करेगा, जहां एनडीए का पलड़ा भारी है.
ऐसी चर्चा है कि सपा को यकीन है कि रालोद और सुभासपा के अपने लॉयल लोगों का वोट उसे मिलेगा. ओपी राजभर एनडीए में हैं और ये काफी मुश्किल माना जा रहा है कि उनके विधायक सपा को वोट करें. दूसरी तरफ माना जा रहा है कि रालोद के विधायक भी बीजेपी के पक्ष में वोट देंगे. ऐसे में सपा का राज्यसभा गणित मुश्किल हो रहा है.
संजय सेठ सपा में कर सकते हैं सेंधमारी!
बीजेपी के 8वें उम्मीदवार संजय सेठ पहले सपा में थे. ऐसे में उनके सपा में भी संबंध है. माना जा रहा है कि वह सपा विधायकों में सेंध लगाकर अपने पक्ष में वोट डलवा सकते हैं.
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