अखिलेश यादव के PDA में अब A से अगड़ा भी, सपा मुखिया ने दिया ये बड़ा सियासी संदेश

यूपी तक

30 Oct 2023 (अपडेटेड: 30 Oct 2023, 05:01 PM)

Uttar Pradesh News : कहते हैं दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है और यूपी की राजनीति ही देश की सबसे बड़ी कुर्सी…

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Uttar Pradesh News : कहते हैं दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है और यूपी की राजनीति ही देश की सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुंचाती रही है. 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) एक बार फिर साइकिल पर आ गए हैं. उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल सपा सोमवार से समाजवादी पीडीए यात्रा निकाली. यात्रा सोमवार को लखनऊ में शुरू होकर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जाएगी.

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अखिलेश यादव के PDA में अब A से अगड़ा भी

अखिलेश यादव पीडीए साइकिल यात्रा के दौरान कि, ‘अगड़े और पिछड़े की परिभाषा ठीक से समझने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हमने लखनऊ में शानदार स्टेडियम बनवाया, इसलिए हम अगड़े हैं. जिसने कोई काम ही नहीं कराया, हकीकत में वे पिछड़े हैं.’ अखिलेश यादव ने कहा कि जो विकास के काम कराए, वही अगड़ा है. जो उन कामों को लेकर सिर्फ फोटो खिंचाए, वो पिछड़ा है. इसलिए पीडीए के ”ए” में अल्पसंख्यकों के साथ-साथ आधी आबादी, आदिवासी व अगड़े भी समाहित हैं.

फिर साइकिल पर सवार हुए अखिलेश

समाजवादी पीडीए यात्रा की शुरुआत पार्टी के सपा मुखिया अखिलेश यादव साइकिल चलाकर किया. बता दें कि इस यात्रा में उनके साथ समाजवादी पार्टी के तमाम कार्यकर्ता साइकिल चलाते हुए दिख रहे हैं. इस दौरान अखिलेश यादव अपने सरकार के दौरान बनाए गए अपने तमाम प्रोजेक्ट्स से होते हुए यात्रा जनेश्वर मिश्र पार्क तक ले आएंगे.

क्या है पीडीए यात्रा

समाजवादी पीडीए यात्रा राजधानी लखनऊ में कई इलाकों से होकर गुजरेगी. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर अखिलेश साइकल यात्रियों का स्वागत कर खुद साइकिल पर सवार हुए. बता दें कि यूपी चुनाव 2012 से पहले अखिलेश यादव ने प्रदेश भर में साइकिल यात्रा निकाली थी. समाजवादी पार्टी के मुखिया तकरीबन 6 महीनों से पीडीए (PDA) का जिक्र कर रहे हैं. इस पीडीए (PDA) से उनके मायने हैं पिछड़ा , दलित , अल्पसंख्यक मुस्लिम. पहली बार सपा ये यात्रा निकाल रही है जिसका नाम समाजवादी पीडीए (PDA) यात्रा दिया गया है.

जानें इसके मायने

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के कुल 80 लोकसभा क्षेत्रों में 25 से ज्यादा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व पिछड़ा वर्ग से आने वाले सांसद करते हैं. ओबीसी नेताओं का दावा है कि राज्य में ओबीसी समुदाय की आबादी 56 फीसदी तक है. हालांकि, हाल के निकाय चुनाव से पहले बनाए गए एक आयोग ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा था कि प्रदेश के सभी 762 नगर निकायों में पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.77 फीसदी के आसपास है.

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